नई दिल्ली।  सार्क देशों की मंत्री स्तरीय बैठक के साथ बाल सुरक्षा पर सार्क देशों का तीन दिन का सम्मेलन समाप्त हो गया। बाल अधिकारों को प्रोत्साहित करने के सामूहिक प्रयासों में प्रगति की समीक्षा करने तथा बच्चों के लिए सार्क क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के बारे में बच्चों के विरुद्ध हिंसा समाप्त करने की दक्षिण एशिया पहल (एसएआईईवीएसी) की बैठक हुई।  मंत्री स्तरीय बैठक का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सार्क देशों में बच्चों की सबसे बड़ी आबादी रहती है। बच्चे हमारे मूल्यवान संसाधन हैं और बच्चों के भोलेपन और बचपन की सुरक्षा करना चुनौतीपूर्ण है। एसएआईईवीएसी के महत्व के बारे में राजनाथ सिंह ने कहा कि यह देशों का गठजोड़ हैं जिसका उद्देश्य बच्चों के अधिकारों का संरक्षण विशेषकर सभी प्रकार के भेदभाव, दुर्व्यवहार, उपेक्षा, शोषण, अत्याचार, तस्करी या किसी तरह की हिंसा से सुरक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि एसएआईईवीएसी बैठक से संस्थागत तथा समन्वय व्यवस्था को मजबूत बनाने के संदर्भ में आगे का कार्यक्रम तय करने तथा सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में क्षेत्रीय रणनीति विकसित करने में मदद मिलेगी। गृह मंत्री ने सदस्य देशों से एसएआईईवीएसी का लाभ उठाने का आग्रह किया, क्योंकि यह मंच ज्ञान साझा करने का मंच है तथा क्षमता सृजन, व्याख्या और अनुसंधान के माध्यम से बच्चों से संबंधित संसाधन के आदान-प्रदान का मंच है। श्री राजनाथ सिंह ने बच्चों के संरक्षण के लिए मजबूत साझेदारी के लिए भारत के पूर्ण संकल्प को व्यक्त किया। बैठक को संबोधित करते हुए केन्द्रीय महिला तथा बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने कहा कि चौथी मंत्री स्तरीय बैठक ऐतिहासिक है क्योंकि सार्क क्षेत्र के बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकारी साझेदारी में राष्ट्रीय सरकारों द्वारा पांच वर्षों में किए गए कार्यों की समीक्षा की गई। महिला और बाल विकास मंत्री ने आशा व्यक्त की कि यह बैठक न केवल वर्तमान चुनौतियों का मूल्यांकन करेगी, बल्कि लिए गए निर्णय अगले पांच वर्षों के लिए परिवर्तन के साधन बनेंगे। मेनका गांधी ने बच्चों की सुरक्षा के लिए ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना, किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015, नागरिक आधारित आईसीटी मंच खोया-पाया की लांचिंग, देश के 402 स्थानों तक चाइल्ड लाईन विस्तार, भागे हुए , तस्करी के शिकार बच्चों के लिए रेलवे के साथ कार्यक्रम, बाल देखभाल संस्थानों, गोद लेने संबंधी सुधारों की चर्चा की।

मेनका गांधी ने बच्चों की सुरक्षा के लिए ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना, किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015, नागरिक आधारित आईसीटी मंच खोया-पाया की लांचिंग, देश के 402 स्थानों तक चाइल्ड लाईन विस्तार, भागे हुए , तस्करी के शिकार बच्चों के लिए रेलवे के साथ कार्यक्रम, बाल देखभाल संस्थानों, गोद लेने संबंधी सुधारों की चर्चा की। मेनका गांधी ने जारी योजनाओं, कार्यक्रमों के अतंर्गततथा पीओसीएसओ, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, बच्चों के लिए नई राष्ट्रीय नीति, एकीकृत बाल संरक्षण योजना, सर्व शिक्षा अभियान, बाल मजदूरी के नियंत्रण के प्रयास और बाल विवाह रोकने के प्रयास के तहत उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला। महिला और बाल विकास मंत्री ने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशन में लांच की गई ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना पर प्रकाश डाला। यह योजना अब सरकार के अग्रणी कार्यक्रमों में शामिल हो गई है। इसे लड़कियों के जीवन संरक्षण, शिक्षा तथा सशक्तीकरण सुनिश्चित करने के लिए लांच किया गया और यह बहुत सफल रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों के सामूहिक निरंतर प्रयासों से कम समय में व्यवहार में परिवर्तन लाना संभव है।

 

 

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