कोलकाता। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में गोरखा नेता सुभाष घीसिग के साथ समझौता हुआ तथा गोरखालैंड की मांग वापस ले ली गयी थी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले गोरखा जनमुक्ति मोरचा नेता विमल गुरुंग का हाथ थामा। साथ ही उनका राजनीतिक लाभ उठाया और जीटीए को मान्यता दी, लेकिन अब ममता बनर्जी के उकसावा पूर्ण बयान से स्थिति बिगड़ रही है। उक्त बात शुक्रवार को विधानसभा परिसर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बंगाल को विभाजित करने की मांग को किसी भी कीमत पर समर्थन नहीं करती हैं और न ही अलग गोरखालैंड की मांग का समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के उग्र आंदोलन से दार्जिलिंग में पर्यटन को नुकसान पहुंचेगा. अब्दुल मन्नान ने आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कांग्रेस विधायकों के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया. मन्नान ने आरोप लगाया कि जलपाईगुड़ी जिले में गीतांजली परियोजना के तहत तृणमूल कांग्रेस के विधायकों को कोटे के तहत आवास आवंटित किये गये हैं, लेकिन जलपाईगुड़ी से कांग्रेस के विधायक सुखविलास वर्मा को कोई भी कोटा आवंटित नहीं किया गया है. मुख्यमंत्री प्रशासनिक बैठक में तृणमूल कांग्रेस के पंचायत सदस्यों को बुलाती हैं, लेकिन विपक्षी विधायकों को नहीं बुलाती हैं. उन्होंने विरोधी दल के विधायक के साथ पक्षपात करने के आरोप में जलपाईगुड़ी के जिलाधिकारी को निलंबित करने की मांग की.
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