कानपुर का चमड़ा उद्योग के पश्चिम बंगाल में स्थांतरण की तैयारी
20 हजार करोड़ का है कारोबार

कोलकाता। भले ही पश्चिम बंगाल में तमाम उद्योग धंधे वाममोर्चा के दौर से ही बंद हों गये हों लेकिन इस राज्य के लोगों के लिये एक खुशी की खबर है। कानपुर का चमड़ा उद्योग के पश्चिम बंगाल में स्थांतरण की तैयारी हो रही है। उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों की बंदी से कानपुर का चमड़ा उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है। कच्चा माल नहीं मिलने के साथ सरकार द्वारा टेनरियों को दूसरी जगह शिफ्ट करने के आदेश से चमड़ा कारोबारी पश्चिम बंगाल का रुख कर रहे हैं।बताया तो यहां तक जा रहा है कि कई बड़े कारोबारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर वहां जमीन भी खरीद चुके हैं।
गंगा किनारे जाजमऊ के आस-पास सैकड़ों टेनरियां हैं जो देश ही नहीं विदेशों में बेहतर चमड़ा उत्पाद के लिए जानी जाती हैं। मगर उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद अवैध बूचड़खानों पर लगे प्रतिबंध से यहां का चमड़ा उद्योग प्रभावित होने लगा। साथ ही, केन्द्र सरकार द्वारा गौ-हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से भी प्रतिकूल असर पड़ा। रही सही कसर योगी सरकार द्वारा इन टेनरियों को यहां से रमईपुर के पास शिफ्ट करने का आदेश देकर पूरा कर दिया। जिसके चलते यहां के चमड़ा कारोबारी अपना कारोबार बंद करके पश्चिम बंगाल का रुख करने की तैयारी में जुट गये हैं।
यहां के कई चमड़ा कारोबारी बूचड़खानों पर प्रतिबंध के बाद से पश्चिम बंगाल में जमीनें खरीदना शुरू कर दिया है। इधर टेनरियों के शिफ्टिंग के प्रदेश सरकार के आदेश के बाद कई बड़े चमड़ा कारोबारी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलकर चमड़ा उद्योग को वहां पर शिफ्ट करने की बात कही। अगर कानपुर का चमड़ा उद्योग पश्चिम बंगाल शिफ्ट हो गया तो प्रदेश सरकार राजस्व का बहुत बड़ा नुकसान कर बैठेगा।
टेनरी मालिक अबरार अहमद ने बताया कि यहां पर छोटी-बड़ी करीब साढ़े चार सौ टेनरियां है। बूचड़खानों की बंदी के बाद से टेनरियों का काम लगभग बंदी के कगार पर है। कच्चा माल मिल नहीं पा रहा है और ऑर्डर के मॉल तैयार न होता देख कारोबारी परेशान है। चर्चा है कि कुछ कारोबारी पश्चिम बंगाल की मुख्ममंत्री ममता बनर्जी से वहां पर कारोबार करने के लिए उनसे मुलाकात की है। कारोबार कमजोर होने से ऐसा ही दर्द मो. इरफान, शारिक सिद्दीकी, मो. फरहान ने बयां किया। राजनीतिक कारणों से ममता बनर्जी के विरोध के चलते टाटा का नैनो प्लांट सिंगूर से गुजरात शिफ्ट हो गया था। बताया जा रहा है कि इसी की कमी को पूरा करने के लिए ममता भी कानपुर के चमड़ा कारोबारियों को सहूलियतें देने को तैयार है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अकेले कानपुर में चमड़े का कारोबार लगभग 20000 करोड़ रुपये का होता है। लगभग पांच हजार करोड़ रुपये का चमड़े का निर्यात होता है और करीब 15000 करोड़ का घरेलू व्यापार होता है। वहीं चमड़ा उद्योग से लगभग पांच लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है।

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