कोलकाता। कोयला घोटाला मामले के आरोपी उद्योगपति मनोज जायसवाल तथा उनके बेटे अभिषेक जायसवाल को कोलकाता से गिरफ्तार करने के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने कोर्ट में पेश कर आठ दिनों की न्यायिक हिरासत में ले लिया है। इन्हें कोलकाता की कोर्ट में पेश कर सीबीआइ की टीम ने हिरासत में लिया है।
कोलकाता के साथ-साथ दोनों ने नागपुर में भी कंपनी के दफ्तर खोला था जिसके जरिए इन लोगों के दो बैंकों को 290.77 करोड़ का चूना लगाया है। दोनों की गिरफ्तारी केनरा बैंक और विजया बैंक को 290.77 करोड़ रुपये का चूना लगाने के आरोप में हुई है। सीबीआइ की ओर से बताया गया है कि अभिजीत समूह के प्रमोटरों मनोज जायसवाल तथा अभिषेक जायसवाल ने केनरा बैंक के पूर्व उप महाप्रबंधक टी एल पई के साथ मिलकर दोनों ही बैंकों से 290.77 करोड़ का ऋण लिया था व बाद मे कंपनी का नाम बदल कर रुपये गबन कर गए थे।
सीबीआइ की टीम ने कंपनी के कोलकाता तथा नागपुर स्थित दफ्तरों तथा निदेशकों के घरों में एक साथ छापामारी करके तीनों को गिरफ्तार किया था। सीबीआइ के मुताबिक, आरोपियों के कारण केनरा बैंक को 218.85 करोड़ रुपये तथा विजया बैंक को 71.92 करोड़ रुपये का चूना लगा है। जांच एजेंसी की ओर से बताया गया है कि अभिजीत ग्रुप की 13 कंपनियों ने 20 से अधिक बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण लिए, जो एनपीए में तब्दील हो गया, जिसके कारण 11,000 करोड़ रुपये के ऋण का बकाया हो गया।
सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों केनरा और विजया की शिकायत पर एजेंसी ने साल 2015 में एक मामला दर्ज किया था, जिसके आधार पर गिरफ्तारियां हुई हैं।
बैंक का आरोप है कि आरोपियों ने आपराधिक साजिश तथा धोखाधड़ी के माध्यम से 290.77 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े की साजिश रची। जिस कंपनी के नाम पर लोन लिया बाद में उसका नाम बदलकर एमएस पाथब्रेकिंग्स प्रोजेक्ट्स लिमिटेड कर दिया था। समूह के उक्त दोनों प्रमोटरों सह निदेशकों को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था।

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