भाजपा का भी उक्त मु्द्दे पर समर्थन नहीं
कांग्रेस करेगी विरोध रैली

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आंदोलनकारी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) पर दबाव बढ़ा दिया है। दरअसल, पश्चिम बंगाल की सभी विपक्षी पार्टियों ने अलग गोरखा राज्य की गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की मांग खारिज कर दी है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने दार्जिलिंग में अनिश्चिकालीन बंद का आह्वान कर रखा है। मोर्चा ने फिर से अलग राज्य की मांग तेज कर दी है। हालांकि, सीएम ममता बनर्जी इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं हैं और उन्होंने बुधवार को कुछ ऐस कदम उठाए, जिससे इस संगठन पर जबरदस्त दबाव बन गया है।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी से भी मुलाकात की और उन्हें पहाड़ी इलाकों में चल रहे मौजूदा हालात के बारे में जानकारी दी। एक हफ्ते पहले 7 जून को जीजेएम के नेता रोशन गिरी ने राज्यपाल से मुलाकात कर इस इलाके में समस्या पैदा करने के लिए मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी की शिकायत की थी।
ममता की सरकार ने बुधवार को सीनियर आईएएस अफसर सी मुरुगन को जीजेएम की तरफ से संचालित गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) का नया सेक्रटरी नियुक्त किया। उन्होंने पिछले 5 साल में जीटीए को आवंटित फंड के स्पेशल ऑडिट का भी निर्देश दिया है। साथ ही, राज्य सरकार ने कलीमपॉन्ग, कर्सियांग और दार्जिलिंग के नगरनिकायों की स्पेशल ऑडिट का आदेश दिया है, जिसका संचालन जीजेएम द्वारा किया जाता है।
एक बड़ी पुलिस टीम ने बुधवार को दार्जिलिंग के एक स्कूल को घेर लिया, जहां जीजेएम की यूथ इकाई की बैठक चल रही थी। यह बैठक भविष्य की रणनीति तैयार करने के लिए चल रही थी। ममता सरकार के तमाम ऐसे कदमों को राज्य सरकार द्वारा जीजेएम पर दबाव बनाने के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि अनिश्चितकालीन दार्जिलिंग बंद के आह्वान को कमजोर किया जा सके।
राज्य की सभी विपक्षी पार्टियों ने भले ही दार्जिलिंग में मौजूदा तनाव के लिए चीफ मिनिस्टर को जिम्मेदार ठहराया हो, लेकिन बीजेपी समेत इनमें से किसी भी पार्टी ने अलग गोरखा राज्य के लिए जेजीएम के मौजूदा आंदोलन का समर्थन नहीं किया है। निश्चित तौर पर इससे जेजीएम पर दबाव बनाकर गोरखालैंड आंदोलन से मजबूती से निपटने में मदद मिली।

पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने बताया, ‘हम गोरखा के लिए अलग राज्य का समर्थन नहीं करते। हालांकि, दार्जिलिंग में हालिया तनाव के लिए सीएम ममता बनर्जी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। वह अपने प्रतिद्वंद्वियों को आतंकित करने के लिए पुलिस और प्रशासन का इस्तेमाल कर रही हैं और उन्होंने दार्जिलिंग में भी यही फॉर्म्यूला अपनाया है। आप देख सकते हैं कि यहां क्या हो रहा है।’
बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जेजीएम की मांग का विरोध करने के लिए वह 17 जून को सिलीगुड़ी में रैली करेंगे। इससे पहले पृथक गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर तीसरे दिन बुधवार को भी जीजेएम और अन्य क्षेत्रीय दलों ने रैलियां निकालीं। पुलिस किसी भी प्रकार की हिंसा को टालने के लिए गश्त कर रही है। दार्जिलिंग में चौकबाजार और माल रोड पर और इसके आस पास अधिकतर दुकानें बंद रहीं। दार्जिलिंग में सरकारी और गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के कार्यालयों में जीजेएम समर्थित अनिश्चितकालीन बंद 12 जून को आरंभ हुआ था।
जीजेएम ने लोगों को काम पर जाने से रोकने के लिए कल चौकबाजार में कई सरकारी कार्यालयों तक मार्च निकाला था। जीजेएम समर्थकों को कल जब रोका गया तो वे हिंसक हो गए और उन्होंने पथराव किया। छह क्षेत्रीय दलों से समर्थन मिलने के बाद जीजेएम की पृथक राज्य की मांग ने और लय पकड़ ली है। उन्होंने पृथक राज्य की मांग करते हुए कल सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। साारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की सहयोगी गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने भी पृथक राज्य की मांग का समर्थन किया है।केंद्र सरकार ने हिंसा प्रभावित दार्जिलिंग में स्थिति सामान्य करने में राज्य सरकार की मदद के लिए कल अर्द्धसैनिक बलों के 600 जवानों को भेजा था। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इस पर्वतीय जिले में मौजूदा हालात पर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है।

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