कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में जहां एक ओर बांग्ला को अनिवार्य करार दिया है । वहीं एक ओर इस राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एक शिक्षक समूह बगिया सीखो ओ शिक्षाकर्मी संघ ने छठी से आठवीं क्लास सभी तक के सभी स्कूलों में संस्कृत को एक अनिवार्य विषय बनाने की मांग की है।
27 प्वॉइंट्स की सूची के साथ संघ ने मांग की है कि स्कूली शिक्षा में बंगाली भाषा के अरबी शब्दों के घुसपैठ को रोका जाए। संघ का यह कदम तब सामने आया है जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पहले ही इंगलिश मीडियम स्कूलों सहित सभी स्कूलों में पहली क्लास से बंगाली को अनिवार्य कर दिया था।
बीरभूम जिले के शिक्षक संघ अध्यक्ष बामाचरण रॉय ने कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति और परंपरा है। चाहे साहित्य हो या विज्ञान, कालिदास से लेकर पाणिनी तक संस्कृत का काम दुनियाभर में जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में वामपंथियों की सरकार ने सत्ता के दौरान जानबूझकर भाषा के रूप में संस्कृत की पढ़ाई को बंद करवा दिया। अब मौजूदा सरकार एक विशेष समुदाय को खुश करने के लिए उसी ढर्रे पर चल रही है। हम छठवीं क्लास से संस्कृत को अनिवार्य बनाना चाहते हैं, जिससे छात्रों का आधार मजबूत हो। बहरहाल उक्त मांग को तमाम लोगों का समर्थन भी मिलना शुरु हो गया है। ऐसे में देखना है कि आगे क्या होता है।
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