कभी लकड़ी माफिया ने मार दी गोली

बेलाकोबा/कोलकाता। फिल्म सिंघम तो आपने देखा होगा लेकिन आइये आपको रियल लाइफ के वन सिंघम से रुबरु करवाते हैं। फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर संजय दत्त का ऑफिस आपको बाहर से देखने में कारों का रिटायरमेंट होम लग सकता है। जंग लगी हुई इनोवा, सालों से रखी हुईं तवेरा , धूल से सनी हुई वेगनआर कारों और दूसरे कई वाहनों का ढेर उनके ऑफिस के आगे लगा हुआ है। ये सभी वाहन उत्तर बंगाल के जंगलों के अवैध वन्यजीव व्यापारियों और लकड़ी चोरों से जब्त किए गए हैं। यानी इस वन सिंघम से वन तस्कर कांपते हैं।
38 साल के फॉरेस्ट रेंजर कहते हैं कि पिछले 8 सालों में हमने 200 शिकारियों और 300 से भी ज्यादा लकड़ी तश्करों कों गिरफ्तार किया है। मुझे अपना काम और जंगल बेहद पसंद है। उनके पिता भी फॉरेस्ट रेंजर रह चुके हैं और उन्होंने अपना जीवन भी इन्हीं जंगलों में गुजारा है। दत्त जंगलों में आने वाले तश्करों, शिकारियों और अवैध वन्यजीव व्यापारियों को पकड़ने वाली टीम के हेड हैं। तश्करी में बाघ और तेंदुए की खाल और हड्डियां, हाथीदांत, गेंडा सींग और महंगे सांप के जहर शामिल हैं। इस लिस्ट में अजगर की खाल, दोमुंहा सांप के नाम से मशहूर रेड सेंड बोआ सांप , रंगीन छिपकली गेंको और समुद्री जीव भी शामिल हैं।
ये उपलब्धि उन्होंने एक कीमत देकर हासिल की है। एक बार दत्त को लकड़ी माफिया ने गोली मार दी तो उसे हाथी ने गुस्से में आकर कुचल दिया। लकड़ी के लुटेरों को पकड़ने के एक ऑपरेशन में दत्त ने अपने एक सहयोगी को खो दिया। पिछले साल दत्त ने वन्यजीव अपराध और अवैध व्यापार को रोकने के लिए समर्पित प्रयासों के लिए ‘क्लार्क आर बावियन वन्यजीव कानून प्रवर्तन पुरस्कार’ प्राप्त किया, जिसमें उनके जिले में लकड़ी के तस्करी को सफलतापूर्वक समाप्त करने और राइनो शिकार से मुकाबला करने का काम शामिल था। 2017 में बंगाल सरकार ने उन्हें बेस्ट वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन अवॉर्ड से सम्मानित किया। उनके इन अवॉर्ड ने उन्हें आस-पास की जगहों में स्टार बना दिया। दत्त याद करते है कि कैसे एक बार उन्हें किसी ने सूचना दी थी कि तीस्ता नदी के पासे गजोलडोबा बार रेंज में अवैध लकड़ी के साथ तीन नावें पहुंची हैं। दत्त ने बताया, ‘छापा मारकर हमने तीन तश्करों को पकड़ लिया पर एक हमारे एक सहयोगी की जान चली गई। मैं जब तक रहूंगा मुझे इस बात का पछतावा रहेगा। हमने बांग्लादेश अथॉरिटी से भी बात की लेकिन सहयोगी की लाश तक नहीं मिली। मैं इसके लिए खुद को अपराधी के तौर पर देखता हूं।’ 3300 हेक्टेयर में फैले बैकंठपुर जंगल की निगरानी रखने वाले दत्त कहते हैं कि तब हमारे पास लाइफ जैकेट्स भी नहीं थे, पर अब हैं। दत्त को उनके साहसिक कामों और तश्करी को समाप्त करने के लिए वन सिंघम के नाम से भी जाना जाता है।

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