पश्चिम बंगाल का ‘अनोखा’ प्रतीक चिन्ह लगभग तैयार

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य के लिए एक अलग गीत लिख रही हैं। इतना ही नहीं वह राज्य का एक प्रतीक चिन्ह भी डिजाइन करवा रही हैं। ऐसा बंगाल की ‘अनोखी’ और उत्तर भारत से अलग संस्कृति के बारे में सबको बताने के लिए किया जा रहा है। खबरों व सूत्रों की माने तो ममता बनर्जी जिस गीत को लिख रही हैं उसमें तीन छंद होंगे। उसे ममता द्वारा ही लिखा और तैयार किया जा रहा है। ऐसा गीत बनाने की कोशिश की जा रही है जो बंगाल को दर्शाए। साथ ही ऐसे लोगों की तलाश भी जारी है जिनसे वह गाना गवाया जाएगा। सूत्र ने बताया कि गाने में बंगाल की संस्कृति के साथ-साथ धर्मनिरपेक्षता की बात होगी।
इस गाने को भारतीय जनता पार्टी को दिए जाने वाले एक संदेश के तौर पर भी देखा जा रहा है। बीजेपी पर ममता की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) आरोप लगाती रही है कि उनकी तरफ से बंगाल में हिंदी और हिंदुत्व को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। एक सीनियर नेता ने कहा भी कि पिछले कुछ सालों में बीजेपी बंगाल के अधिकारों का हनन करने के बारे में सोच रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि बीजेपी की वजह से बंगाल के लोग अपनी ‘त्रयोदशी’ को भूलकर ‘धनतेरस’ बोलने लगे हैं। दूसरी तरफ बंगाल के प्रतीक चिन्ह का काम लगभग पूरा हो गया है। पिछले कुछ महीनों से उसपर काम चल रहा था। इसी साल फरवरी में ममता ने अधिकारियों से उसके लिए सुझाव मांगे थे। जानकारी के मुताबिक, बंगाल सरकार के बिस्वा बंग्ला के लोगो और सारनाथ के अशोक स्तंभ वाले शेर के चिन्ह को मिलाकर कुछ तैयार किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि बंगाल पहला राज्य नहीं होगा जिसका अपना राज्य गीत होगा। इससे पहले तमिलनाडु का थाई वाल्टू गीत आया था। उसको मनुमनियाम सुंदरम पिल्लई ने लिखा और एम एस विश्वनाथन द्वारा तैयार किया गया था। इसके अलावा ओडिशा के लिए भी एक गाना लिखा गया था। जिसको उडिया के राष्ट्रवादी कवि कंटक्काबी लक्ष्मीकांत महापात्र ने लिखा था। गुजरात के लिए गुजराती कवि नर्मदाशंकर दवे भी गीत लिख चुके हैं।
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