कोलकाता। नक्सली आंदोलन के जाने-माने नेताओं का कहना है कि नक्सलियों के आदर्श और संघर्ष अब भी प्रासंगिक हैं वीरवार राव और संतोष राणा जैसे पूर्व नक्सली और दीपांकर भट्टाचार्य जैसे वर्तमान नेताओं का कहना है कि दुश्मन का सिर्फ स्वरुप ही बदला है। उनके मुताबिक पहले ये दुश्मन सामंतवादी थे और अब ये दुश्मन बीजेपी-आरएसएस हैं।इन नेताओं का कहना है कि क्रांति शुरू हुए भले ही 50 साल बीत गए हों लेकिन आज जब बीजेपी-आरएसएस सरकार ‘देश और समाज को धार्मिक आधार पर बांटने पर उतारू हैं।’ तब नक्सली आंदोलन के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। पूर्व नक्सली नेता वीरवार राव ने कहा, ‘एक वर्गविहीन समाज बनाने के लिए हम सामंतवादियों और पूंजीपति व्यवस्था के खिलाफ लड़े। हमें सफलता नहीं मिली लेकिन आज जब बीजेपी-आरएसएस की सरकार देश और धर्म को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है, तब हमारे लक्ष्य और अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। राव ने कहा कि वे ‘वर्ग संघर्ष के असली शत्रु’ हैं और उनसे एकजुट होकर लड़ा जाना चाहिए।

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