आन्दोलन कारियों पर पहली बार हुई रंग की बौछार 

जगदीश यादव
कोलकाता। महानगर कोलकाता में वाममोर्चा के नवान्न अभियान की तरह भाजपा का लालबाजार अभियान भी हिंसा की भेंट चढा। भाजपा के पुलिस मुख्यालय लालबाजार अभियान को लेकर पूरा  मध्य कोलकाता से लेकर हावड़ा की कई सड़कें रणक्षेत्र में तब्दिल हो गई। लाठीचार्ज, आगजनी, बमबाजी, वाटर कैनन, आंसू गैस के गोले से लेकर पुलिस वाहनों में तोडफ़ोड़ की घटनाएं हुई।
लेकिन इस आन्दोंलन के दौरान जो सबसे खास बात दिखी वह थी, पुलिस द्वारा आन्दोंलन करने वालों पर रंग का इस्तेमाल करना। शायद राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब आन्दोंलन करने वालों पर हरे रंग की तेज बौछार की गई। हरे रंग में भिंग चुके आन्दोंलन करने वालों की शिनाख्त आसानी से हो जा रही थी और हरे रंग में भिंग चुके लोग जहां कहीं भी पुलिस के नजर में आये पुलिस ने उन्हें धुना । यहां तक की रंग में भिंग चुके लोग अगर बस, ट्राम या मेट्रो से वापस जाने की कोशिश की तो पुलिस हत्थें से बच नहीं सकें। साफ कहें तो कोलकाता पुलिस ने रंग का उपयोग कर राज्य में एक नया प्रयोग किया। रंग की जद में पड़ चुके प्रदेश भाजपा ओबीसी मोर्चा के राज्य सचिव रामक्रीत यादव से घटना स्थल पर बात करने पर उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने पुलिस का इस्तेमाल जिस तरह से किया है वह उक्त सरकार की दिवालिया की शिकार हो चुकी मानसिकता को दर्शाती है। तृममूल कर्मी समर्थक जीत आदी के मौके पर हरे रंग के अबीर का इस्तेमाल करते हैं और पुलिस को भी हरे रंग का उपयोग किया इससे जाहिर है कि पुलिस किस कदर सियासी दबाव में है । पुलिस लाल, नीला, भगवा, काला, नीला सह तमाम रंग के पानी के बौछार का इस्तेमाल कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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