रास नहीं आ रही है सोनिया व ममता की दोस्ती

कोलकाता। कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई हाइकमान से नाराज चल रही है और इसकी वजह यह है कि पार्टी में शीर्ष स्तर पर उनकी राय को महत्व नहीं दिया जा रहा। बंगाल इकाई का मानना है कि कांग्रेस नेतृत्व और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के बीच हाल में नजर आए दोस्ताना संबंध राज्य में पार्टी के राजनीतिक अस्तित्व के लिए घातक हैं।
दरअसल कांग्रेस चुनावों में मिली रही लगातार हार और पार्टी का दामन छोड़ कर जाते नेताओं के कारण अस्तित्व बचाने को संघर्ष कर रही है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और ममता बनर्जी के बीच आगामी राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति पर चर्चा को लेकर 16 मई को नई दिल्ली में हुई बैठक ने राज्य के कांग्रेस नेतृत्व को खफा कर दिया है। राज्य के कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि तृणमूल के साथ किसी भी किस्म की दोस्ती उसके लिए घातक साबित हो सकती है, जो तृणमूल की दूसरे दल के विधायकों को अपने साथ लेने की नीति के चलते अपने समर्थक आधार को एकजुट करने के लिए संघर्ष कर रही है।
बंगाल कांग्रेस को यह भी डर है कि बीजेपी इस मुद्दे का फायदा उठाकर राज्य में कांग्रेस के वोट काट देगी। कांग्रेस की पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता दीपा दासमुंशी ने कहा, ‘वैसे तो वह बैठक राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी थी लेकिन यह चिंता का विषय तो है ही क्योंकि पार्टी कार्यकर्ता और नेता कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं जिनका हमारे पास कोई जवाब नहीं है।’ ऐसे समय जब तृणमूल हिंसा या विधायकों को तोड़ने जैसे तरीकों का इस्तेमाल करके राज्य में कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश कर रही है, तब तृणमूल और हमारे शीर्ष नेतृत्व के बीच मुलाकात से गलत संदेश जा रहा है। मुंशी ने कहा, ‘पार्टी के वे कार्यकर्ता जिनकी तृणमूल के गुंडों ने स्थानीय निकाय चुनाव के दिन पिटाई की थी, उन्हें यह विश्वास दिलाना बेहद मुश्किल है कि कोई समझौता नहीं होने जा रहा।’ राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने 13 मई को सोनिया गांधी को पत्र लिख कहा था कि राष्ट्रीय राजनीति में वह ऐसा कोई समीकरण न बनाएं जिससे राज्य में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचता हो।

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