कोलकाता। अस्पतालों में मरीजों के नाराज परिजनों द्वारा तोड़फोड़ और डॉक्टरों पर हमले को अस्वीकार्य करार देते हुये राष्ट्रपति प्रणब बुखर्जी ने आज कहा कि बेहतर स्वास्थ्यसेवा तंत्र सुनिश्चित करने के लिये उनकी भी कुछ जिम्मेदारियां हैं। उन्होंने हालांकि इस बात पर दुख भी जताया कि चिकित्सा पेशे में सेवा का सिद्धांत अब कम होता जा रहा है। उन्होंने चिकित्सा पेशेवरों से फिर से वो मानवीय संवेदना लेकर आने का अनुरोध करते हुये कहा कि एक मुस्कुराता हुआ चेहरा हजारों जिंदगियां ठीक कर सकता है।

राष्ट्रपति मुखर्जी यहां इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड डायजेस्टिव साइंसेज :आईआईएलडीएस: के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। कोलकाता के दक्षिण 24 परगना जिले के सोनारपुर में पश्चिम बंगाल लिवर फाउंडेशन द्वारा स्थापित यह संस्थान पूरी तरह यकृत से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिये समर्पित है। उन्होंने कहा, मरीजों की भी कुछ जिम्मेदारियां हैं। मरीजों के परिजनों की भी कुछ जिम्मेदारियां हैं। अस्पतालों में तोड़फोड़, डॉक्टरों की पिटाई :मरीज की मौत की स्थिति में: स्वीकार्य नहीं है।राष्ट्रपति की यह टिप्पणी इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि मार्च में महाराष्ट्र के सरकारी और निगम अस्पतालों में ओपीडी और जनरल वार्ड में स्वास्थ्य सेवायें ऐसे हमले के बाद डॉक्टरों के अस्पताल में काम बंद कर हड़ताल पर जाने से ठप हो गयी थीं। राष्ट्रपति मुखर्जी ने निजी अस्पतालों द्वारा बेहिसाब शुल्क वसूले जाने की शिकायत मिलने के बाद उनपर लगाम लगाने के लिये समारोह में उपस्थित पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भी सराहना की।ममता बनर्जी ने फरवरी में राज्य के बड़े निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर बताया था कि उन्हें सिर्फ लाभ कमाने के बारे में और गरीब मरीजों की अनदेखी के बारे में नहीं सोचना चाहिये। बाद में राज्य सरकार ने इस संबंध में एक विधेयक भी पास किया था जिसका उद्देश्य पारदर्शिता लाना, मरीजों का उत्पीड़न रोकना और डॉक्टरों की लापरवाही पर अंकुश लगाना था।

 

 

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