दार्जिलिंग। 14 मई को दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र में होने वाले निकाय चुनाव, ममता बनर्जी की पार्टी के लिए काफी अहम है. पिछले साल राज्य में शानदार जीत दर्ज करने वाली तृणमूल कांग्रेस दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र में होने वाले निकाय चुनाव भी जीतना चाहेगी.काफी लंबे समय से दार्जिलिंग, कुरसेओंग, कालीम्पोंग और मिरीक पालिका पर स्थानीय पार्टी (गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट) और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का कब्ज़ा रहा है. दोनों भी सियासी पार्टियों का जन्म अलग गोरखा राज्य की मांग को लेकर हुआ है और आज भी उनकी सियासत उसी के इर्द-गिर्द घूमती है.गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने इन चुनावों को भी गोरखालैंड बनाम बंगाल बना दिया है. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा अलग राज्य बनाने के मुद्दे पर लोगों से वोट मांग रही है.वैसे तो 2009 से हुए सभी चुनावों में (2 लोकसभा, 2 विधानसभा और पालिका चुनाव) विमल गुरुंग की गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने आसान जीत दर्ज की है, मगर इस बार परिस्थिति थोड़ी अलग है. इस बार विपक्षी पार्टियां जिसमे तृणमूल कांग्रेस भी शामिल है, अपने पैर तेज़ी से पसार रही है. वहीं दूसरी ओर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को मिलता समर्थन कम होता नजर आ रहा है.

बात की जाए तृणमूल कांग्रेस की तो उन्हें 2016 में हुए विधानसभा चुनावो के दौरान दार्जिलिंग की सभी 6 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. ममता बनर्जी की पार्टी सिलीगुड़ी नगर निगम और सिलीगुड़ी महाकुमा परिषद में भी हार गई थी.अब सभी की नजर 14 मई को दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र में होने वाले निकाय चुनाव पर है. ममता बनर्जी क्षेत्र में अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहती है तो वहीं गोरखा जनमुक्ति मोर्चा अपना दबदबा कायम रखना चाहती है.बहरहाल, चुनावों के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं. पुलिस ने रोड मार्च शुरू कर दिया है और हर आने जाने वाली गाड़ियों की बारीकी से चेकिंग की जा रही है.

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