कोलकाता। हाल में मां बनी 12 साल की रेप पीड़िता की दुनिया ही बदल गई है, उसे अपने स्कूल से ट्रांसफर सर्टिफिकेट(टीसी) लेना पड़ा। बच्ची शायद पश्चिम बंगाल की सबसे कम उम्र की मां है।लड़की और उसके परिवार का आरोप है कि स्कूल की प्रिंसिपल उसे परेशान किया करती थीं, उसपर स्कूल का नाम बदनाम करने का आरोप लगाती थीं और स्कूल छोड़ने के लिए कहा करती थीं। लेकिन, स्कूल प्रिंसिपल इन आरोपों को गलत बताती हैं। भले प्रिंसिपल इन आरोपों को गलत बता रही हों, लेकिन उन्होंने जो सवाल उठाए उससे यही साबित होता है कि लड़की के लिए उस स्कूल में पढ़ाई जारी रखना कितना मुश्किल था। प्रिंसिपल ने कहा, ‘अभिभावकों के अंदर बच्ची को लेकर कोई नफरत की भावना नहीं, बल्कि बहुत सहानुभूति है। वे मेरे पास आए और उन्होंने बच्ची के बारे में बातें शेयर कीं। उन्होंने कहा- उन्हें डर है कि बच्ची सहपाठियों के साथ अपने यौन शोषण की चर्चा करेगी। वे नहीं चाहते कि बच्चे इस तरह की बातों के बारे में जानें।’ प्रिंसिपल ने आगे कहा, ‘पीड़िता के अभिभावकों ने मुझसे पूछा कि क्या रेप के बारे में बच्चों के सवालों का जवाब दे पाऊंगी मैं।’

प्रिंसिपल ने स्कूल फैकल्टी की चिंताओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि फैकल्टी के कुछ सदस्यों को लगता है कि इस केस में कुछ गड़बड़ है, यह कैसे हो सकता है कि परिवार के किसी सदस्य को न पता चला हो कि बच्ची का रेप हुआ। वह आगे कहती हैं कि पुरुष टीचर्स भी डरे हुए हैं कि कहीं उनके ऊपर यौन शोषण का झूठा आरोप न लगा दिया जाए।प्रिंसिपल के मुताबिक, ‘हमारा स्कूल वैसे भी सातवीं क्लास तक का है। ऐसे में अगले 6 महीनों बाद बच्ची को किसी दूसरे स्कूल में ऐडमिशन लेना ही पड़ता। परिवार को यह बताया गया तो वे टीसी लेने के लिए मान गए।’लड़की के परिवारवालों का कहना है कि उससे बेहद भद्दे सवाल पूछे जाते थे, यही वजह है कि उसके दादा ने जल्द से जल्द स्कूल से टीसी लेने के लिए कहा। अब उसके परिजन दूसरे स्कूल में उसका ऐडमिशन करवाने की कोशिश में जुटे हैं।

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