बांकुडा। राज्य में अस्पतालों की लापरवाही हर रोज मीडिया में आ रही है। एक ताजा मामला प्रकाश में आया है। बांकुडा स्थित एक गैर सरकारी अस्पताल पर बिल का भुगतान नहीं होने पर मरीज का इलाज रोकने व उसे जबरन डिस्चार्ज करने का आरोप लगा है। बांकुडा स्थित नर्सिंग होम बांकुडा सेवा निकेतन अस्पताल में अंजली चटर्जी नामक महिला चार दिन पहले मधुमेह संबंधी परेशानियों का उपचार कराने गई। अस्पताल के चिकित्सकों ने उसे भर्ती होने की सलाह दी। अगले ही दिन उसे 20 हजार रुपये जमा करने पड़े। उसके एक दिन बाद मरीज से फिर 15 हजार रुपये की मांग की गई। मरीज के परिजनों ने पैसे जमा करने में असमर्थता जताई तो कथित तौर पर महिला का उपचार रोक दिया गया। इसकी खबर फैलने पर शनिवार रात स्थानीय पार्षद अनन्य चक्रवर्ती व उनके समर्थक अस्पताल पहुंचे और महिला का उपचार करवा कर उसे घर पहुंचा दिया।सूत्रों के अनुसार नर्सिंग होम ने महिला के इलाज के लिये 53 हजार रुपये का बिल बनाया है। पार्षद अनन्य चक्रवर्ती ने कहा कि पूरे राज्ये में निजी अस्पतालों को लेकर एक ही तस्वीर नजर आ रही है। इसका कोई ना कोई इलाज होना चाहिये। उन्होंने कहा कि पीडित महिला वाकई बहुत गरीब है।बिल का भुगतान नहीं करने पर इलाज रोकना ठीक नहीं था। उधर अस्पताल प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि उक्त महिला को मायोसाईटिस नामक जटिल रोग है जिसके परीक्षण व उपचार पर काफी खर्च हुआ था। इसीलिये उसे इतनी बडी रकम अदा करने को कहा गया था। हालांकि बाद में पार्षद के अनुरोध पर हमने महिला का निशुल्क इलाज किया।बहरहाल यह पता नहीं चल सका है कि उक्त अस्पताल के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई की जा सकती है।

 

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