आस्था डेस्क। सरस्वती को समस्त ज्ञान, साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति मनुष्य की झोली में आई थी. इस दिन बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। इस दिन पितृ तर्पण किया जाता है और कामदेव की पूजा भी की जाती है। इस दिन पहनावा भी परंपरागत होता है. मसलन पुरुष कुर्ता-पायजामा पहनते हैं, तो महिलाएं पीले रंग के कपड़े पहनती हैं. इस दिन गायन-वादन के साथ अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। शिक्षण संस्थाओं में वसंत पंचमी बड़े की धूमधाम से मनाई जाती है. यह श‍िक्षा ही तो मनुष्य को पशुओं से अलग बनाती है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने के बाद मनुष्य की रचना की. मनुष्य की रचना के बाद उन्होंने अनुभव किया कि केवल इससे ही सृष्टि की गति नहीं दी जा सकती है।

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