जिन्दादिली की मिसाल हैं भारतीय सेना के जवान

‘सागरद्वीप से लौटकर  जगदीश यादव

सागरद्वीप। कहते हैं कि, उस देश की सरहद को कोई छु नहीं सकता जिसपर निगाहबान हैं आंखें। ऐसे में अवसर सरहद पर देश वासियों की रखवाली का हो या फिर सागर के राजा कपिलमुनि के क्षेत्र गंगासागर मेला की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता रखने का  देश की सेना के जवान हर अवसर का फायदा उठाने से नहीं चुकते हैं। हर समय जिन्दादिली के साथ अनुशासन की जिन्दगी  जिने वाले सेना के जवान गंगासागर मेला की सुरक्षा व्यवस्था के लिये तैनात हैं। हमारी टीम ने यहां तैनात सेना के जवानों की गतिविधियों पर कुछ देर तक नजर रखा तो पता चला कि जिन्दादिली का जीवन क्या होता है। जहां कुछ जवान मेला सह मंदिर परिसर में तैनात थे, वहीं जलमार्ग में भी वह लोग सजग थे। कुछ जवान कपिलमुनि मंदिर में पूजा-पाठ में रमे दिखें तो कुछ को मंदिर के बाहर हर स्तर पर पुण्यार्थियों की मदद करते देखा गया। ऐसे भी जवान थे जो पुण्यार्थियों को इस बात के लिये गाइड करते दिखें कि स्वछता का ख्याल रखा जाये। ऐसे भी जवान थे जो कपिलमुनि की भक्ति में लीन रहें।

जवान मेले में लगे अस्थायी दुकानों में खरीदारी भी करते रहें। जवानों को शीप से बने माला और महिलाओं के गहनों के प्रति आकर्षित देखा गया। वह लोग प्लास्टीक के मोतियों की माला व शंख को बड़ा चाव से मोल-दर करने के बाद खरीद रहें थें। तो ऐसे भी सेना के कुछ जवान थें जो राशन से लेकर सब्जियों की खरीदारी में भी जुटे रहें।सागरद्वीप में तैनात व तमिलनाडु के मूल निवासी सेना के जवान के.एस प्रभु  नेकहा कि जहां के लिये आर्डर मिला वहां तैनात हो गये। फिर वहीं एक नई जिन्दगी जी लेते हैं।वह आर्मी के इंजीनियर विभाग से हैं और यहां उनके विभाग के 50 जवान तैनात हैं।कारण द्वीप में उनके करने के लिये काफी काम है।इसी तरह सागरद्वीप में आये उत्तर प्रदेश के बलिया के बहादुरपुर के निवासी आर्मी के जवान सत्यदेव मिश्रा जो कपिलमुनि मंदिर के द्वार पर वारलेस के साथ तैनात ने कहा कि सुरक्षा मामले पर बोलने के लिये वह लोग काबील नहीं है, लेकिन वादा है कि हर पुण्यार्थी तबतक सुरक्षित है जबतक वह लोग हैं। उनकी दुसरी बार सागर यात्रा है। उन्होंने कहा कि वैसे तो सुरक्षा पर बात करने के लिये वह उपयुक्त नहीं हैं लेकिन आर्मी के तमाम विभाग के जवान यहां तैनात हैं।

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