कोलकाता। नोटबंदी के फैसले के एक पखवाड़े का समय बित गया है और अब पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में मजदूरों में विद्रोह के आसार नजर आने लगे हैं। उत्तर बंगाल के चाय बागान मजदूरों ने मजदूरी का भुगतान नहीं होने की वजह से इलाके में विरोध प्रदर्शन किया और सात घंटे से ज्यादा समय तक हाइवे पर वाहनों की आवाजाही ठप कर दी। इससे हालात बेकाबू होने के संकेत मिलने लगे हैं।  चाय बागानों की हालत को ध्यान में रखते हुए जलपाईगुड़ी जिला प्रशासन के साथ ही राज्य सचिवालय में आयोजित अलग-अलग बैठकों में प्रशासन ने परिस्थिति की समीक्षा की। बैठकों में बागान प्रबंधन के अलावा ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधि भी शामिल थे, लेकिन समस्या जस की तस है। राज्य सरकार ने पहले जिला शासक के दफ्तर के जरिए मजदूरों को भुगतान करने का प्रयास किया था, लेकिन रिजर्व बैंक के इसके लिए नकदी देने से इंकार करने की वजह यह प्रयास भी खटाई में पड़ गया है।

केंद्र सरकार के फैसले की वजह से पश्चिम बंगाल और असम के चाय बागानों में काम करने वाले नौ लाख से ज्यादा मजदूरों के फाकाकशी की नौबत आ गई है। इन बागानों में मजदूरों को हर शुक्रवार या शनिवार को साप्ताहिक आधार पर मजदूरी का भुगतान किया जाता है, लेकिन हजार और पांच सौ के नोटों पर पाबंदी लगने और सौ रुपये के नोटों की किल्लत के चलते उन्हें बीते सप्ताह की मजदूरी नहीं मिली है। उनमें से कुछ के पास पांच सौ का एकाध नोट है भी तो वह रद्दी कागज बन गया है। पश्चिम बंगाल के अलावा पड़ोसी राज्य असम के दूरदराज के इलाकों में स्थित चाय बागानों में अब तक नए नोट पहुंचे ही नहीं हैं। ऐसे में बागान प्रबंधन भी करे तो क्या करे। बैंकों ने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं।

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