कोलकाता।  देश व्यापी एक और श्रमिक हड़ताल का देश भर में कहीं कम तो कहीं ज्यादा असर रहा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने शुक्रवार  को श्रम संगठनों की ओर से बुलाई गयी राष्ट्रव्यापी हड़ताल का बचाव करते हुए कहा कि यह विरोध ‘हम में से हर एक के लिए’ है और कामगारों को ‘अधिकार’ देना कोई ‘खैरात देना नहीं’ है। उल्लेखनीय है कि देश के 10 केन्द्रीय श्रमिक संगठनों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार से राष्ट्रव्यापी हड़ताल आहूत की है। सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने सोशल मीडिया ट्विटर पर सिलसिलेवार लिखा, ‘आज की राष्ट्रव्यापी हड़ताल श्रमिकों (संगठित और असंगठित),किसानों , बेरोजगारों और हममे से हरेक के लिए हैं।’ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ने श्रमिक संगठनों की ओर से की गयी 12 मांगों को भी दोहराया। इन मांगों में संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी कम से कम 18,000 रुपए मासिक (करीब 692 रुपए दैनिक) किया जाना भी शामिल है।

राज्यसभा सदस्य येचुरी ने अपनी एक अन्य ट्विटर पोस्ट कहा कि जब नियोक्ता के मुनाफे की सीमा तय नहीं है, तो बोनस, भविष्य निधि और ग्रेच्युटी की सीमा निश्चित क्यों की गयी है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) समर्थित संगठन भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर देश के सभी प्रमुख श्रम संगठन इस हड़ताल में शामिल हैं। हड़ताल में शामिल सभी श्रम संगठनों ने शुक्रवार को श्रम कानून में ‘श्रमिक-विरोधी’ बदलाव और न्यूनतम वेतनमान को लेकर केन्द्र सरकार के ‘उदासीन’ रवैये के विरोध में नारेबाजी एवं विरोध प्रदर्शन भी या।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को बंगाल में हड़ताल की अनुमति नहीं देने की बात कही थी और सार्वजनिक जीवन बाधित करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। मीडिया खबरों के मुताबिक सरकार ने केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अकुशल गैर-कृषि श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 246 रुपए दैनिक से बढ़ाकर 350 रुपए दैनिक कर दिया है। हालांकि श्रमिक संगठनों ने इस बढ़ोतरी को ‘पूरी तरह से अपर्याप्त’ बताया है। खैर जो बी हो लेकिन बंगाल में बंद को विफल करने के लिये सत्ताधारी सरकार ने तमाम उपाय किये लेकिन बंद को एकदम से विफल नहीं किया जा सका

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