नौ वर्षों में 10 लोगों की मौत

कोलकाता।  राज्य में लगभग एक दशक से तेज आवाज के पटाखों का विरोध होता रहा है। ऐसे में पटाखों की तेज आवाज की वजह से एक बुजुर्ग महिला की मौत का मामला सामने आया है। दुर्भाग्य की बात यह है कि अभी न तो दिवाली थी न ही पटाखे फोड़ने की कोई खास वजह। इसके बावजूद, पटाखों के शोर की वजह से कथित तौर पर एक बुजुर्ग महिला की जान चली गई। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। घटना जादवपुर की है। हादसे की शिकार महिला का नाम पूर्णिमा मित्रा है। पूर्णिमा की बेटी पुबाली ने आरोप लगाया कि उसने रविवार को गादाई देब नाम के शख्स से कई बार कहा कि वो ज्यादा तेज आवाज करने वाले प्रतिबंधित पटाखे न चलाए। पुबाली के मुताबिक, स्थानीय तृणमूल नेता गादाई ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया। पुबाली का कहना है कि गादाई ने और तेज आवाज वाले पटाखे चलाए। बता दें कि पुबाली पेशे से इंजिनियर हैं और वे पिता की मौत के बाद विजयगढ़ इलाके में अपनी बुजुर्ग मां पूर्णिमा के साथ रहती थीं। एक महीने पहले ही पूर्णिमा के हाथ में एक फ्रैक्चर हो गया था और वे कुछ दिनों तक अस्पताल में भर्ती थीं। इसके बाद से वे बिस्तर पर ही दिन गुजार रही थीं। पुबाली ने बताया, ‘मेरी मां बीमार थी। वह दोपहर में सो रही थीं। मैंने पाया कि पटाखों की तेज आवाज सुनकर वे कांप रही हैं। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। मैंने गदाई से मिन्नतें कीं कि वे शोर न पैदा करें। जब मैंने देखा कि वे मेरी बात नहीं सुन रहे तो मैंने 100 नंबर पर पुलिस को कॉल किया।’ पुलिस जब मौके पर पहुंची तो गदाई और उनका साथी मौके से जा चुके थे। कोलकाता पुलिस  ने बताया कि इसके कुछ देर बाद पुबाली ने एक बार फिर पुलिस को कॉल किया और बताया कि उनकी मां की मौत हो चुकी है। बता दें कि ध्वनि प्रदूषण की वजह से 1997 से अब तक पूर्णिमा समेत 10 लोगों की मौत हो चुकी है। हाईकोर्ट ने पटाखों को लेकर कुछ खास गाइडलाइंस जारी किए हैं। इसके बावजूद, तेज ध्वनि तीव्रता वाले प्रतिबंधित पटाखे बंगाल में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। उधर, तृणमूल काउंसिलर देवव्रत मजूमदार ने दावा किया है कि उनकी पार्टी में गदाई नाम का कोई कार्यकर्ता नहीं है।

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