कोलकाता। Mamata-Banerjee-victory-time-photo जिस ऐतहासिक पल का राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को काफी समय से इंतजार था वह आ गया।   पश्चिम बंगाल का नाम अब बदलने वाला प्रस्ताव बंगाल विधानसभा से पास हो गया। पश्चिम बंगाल का नाम अब बांग्ला में बांग्ला और अंग्रेजी में बंगाल बेंगाल होगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए इस पर खुशी जाहिर की। ममता ने यह भी कहा कि आज का दिन बंगालवासियों के लिए गर्व का दिन है। नाम बदलने पर औपचारिक मुहर के लिए केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जाएगा।ममता बनर्जी ने प्रस्ताव पास होने के बाद कहा, ‘आज का दिन हर लिहाज से ऐतिहासिक है। हमें इस फैसले पर गर्व है। जो लोग इसका विरोध कर रहे थे, उन्हें इतिहास में कभी माफ नहीं किया जाएगा।’ वहीं, सीपीएम ने इसका विरोध किया। सीपीएम विधायक सुजान चक्रवर्ती ने सभी भाषाओं में राज्य का एक ही नाम बांग्ला होने की मांग की। सीपीएम की तरफ से मांग की गई थी कि नाम बदलने को लेकर कमिटी गठन कर चर्चा के बाद राय लिए जानने की बात कही। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मांग को ठुकरा दिया। मुख्यमंत्री ने इसके पीछे कारण दिया कि सभी भाषाओं में एक नाम लोगों के बीच भ्रम पैदा कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश को लेकर भी संशय हो सकता है। आखिरकार अंग्रेजी में बंगाल का नाम बेंगाल, हिन्दी में बोंगाल और बंगाली में बांग्ला  पर मुहर लग गई। इसके बाद हुए वोटिंग कराई कई। वोटिंग का परिणाम 189-31 रहा.

30_mamata_jpg_1535337eअब नए नाम की वजह से राज्यों की सूची में बंगाल काफी ऊपर पहुंच जाएगा, जो अंग्रेज़ी की वर्णमाला के क्रम के अनुसार बनाई जाती है. मुख्यमंत्री कई बार इस बात की शिकायत कर चुकी हैं कि अंतरराज्यीय बैठकों में उन्हें कभी-कभार ही बोलने का मौका मिल पाता है, क्योंकि 29 नामों वाली सूची में उनके राज्य का नाम अंत में होता है। बांग्ला भाषा में राज्य के नाम पर सरकार में ‘बंग’ (जिसे संगीत उपकरण बंगों की तरह उच्चारित किया जाए) तथा ‘बांग्ला’ जो स्थानीय खराब के लिए प्रयोग होने वाला शब्द है के बीच मतभेद था, लेकिन ममता बनर्जी ने बताया, “‘बांग्ला’ आराम से जीत गया…” वैसे, इस समय राज्य को बांग्ला में ‘पश्चिम बंग’ कहकर पुकारा जाता है। वर्ष 2001 में बुद्धदेब भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली वाम सरकार ने भी राज्य का नाम ‘पश्चिम बंग’ किए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया था. केंद्र में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था, हालांकि उस वक्त राजधानी नगर का नाम कलकत्ता से बदलकर कोलकाता कर दिया गया था। दरअसल, वर्ष 1947 में आज़ादी के समय बंगाल का बंटवारा हो गया था, जिससे पश्चिम बंगाल यहां भारत का हिस्सा बना रह गया, और पूर्वी बंगाल उस नए देश का हिस्सा बना, जिसे आज बांग्लादेश कहा जाता है। इस नाम परिवर्तन से जुड़ी एक दिलचस्प बात दिवंगत लेखक सुनील गंगोपाध्याय ने कही थी, “जब कोई पूर्वी बंगाल ही नहीं बचा है, तो पश्चिम बंगाल कैसे हो सकता है…?”

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