नंदरानी को इंतजार है अपने ‘गोपाल’ का

कोलकाता/द.दिनाजपुर। एक बार फिर साबित हुआ कि मां आखिर मां होती है। मामता का मोल नहीं होता है क्यों कि ममता तो अनमोल होती है। वैसे भले ही किसी को यकीन नहीं हो लेकिन बालुपघाट में घर छोड़कर गए बेटे के इंतजार में एक मां ने 22 सालों से खाना नहीं खाया है। वो अक्सर दरवाजे के बाहर खाने की थाल लिए अपने बेटे का इंतजार करती दिख जाती है कि कब बेटा आएगा और उसे खाना खिलाएगा। लेकिन बेटा इतना निर्मम और जिद्दी है कि मां की ये हालत देखकर भी नहीं पसीजा। दरअसल, दिनाजपुर के गांव मालेचा आश्रमपाड़ा में 22 साल पहले पिता से नाराज होकर 85 वर्षीय महिला नंदरानी महंत का बेटा घर छोड़कर चला गया था। बाद में पता चला कि वो अपने मामा के घर बांग्लादेश गया है। मां ने बहुत मनाने की कोशिश की लेकिन बेटा वापस नहीं आया। हार कर नंदरानी ने बेटे के घर आने तक खाना नहीं खाने की जिद पकड़ ली। तब से लेकर अब तक उसने खाना नहीं खाया है। नंदरानी की बेटी छवि महंत बताती है कि 10 साल पहले उसका बेटा आया था। बेटे ने मां से खाना न खाने की जिद छोड़ने के लिए कहा लेकिन मां नहीं मानीं। फिर बेटा चला गया। छवि कहती है कि कई बार तो नंदरानी घर के द्वार पर खाने की थाल लेकर बैठती है कि बेटा आएगा और वो अपने हाथों से उसे खाना खिलाएगा। बताते हैं कि नंनदरानी दिन में 10-12 कप चाय और करीब 80 पान खाकर जिंदा रहती हैं। परिजनों का कहना है कि वो साल में 1-2 बैंगन या कोई और सब्जी खाती है। जिले के चीफ हेल्थ ऑफिसर की मानें तो 22 सालों तक खाना नहीं खाने से कोई जिंदा नहीं रह सकता। ये सिर्फ चाय और पान खाने से शरीर में कई तरह के रोग जगह बना लेते हैं, जो जानलेवा होते हैं। ऐसे में नंदरानी का जिंदा रहना हैरानी की बात है।वहीं जब नंदरानी से इस बारे में पूछा गया तो बोलीं कि “जिस बेटे को पाल-पोस कर बड़ा किया वो घर भूलकर परदेस चला जाए तो मां के गले से खाना कैसे उतरे।” बहरहाल देखना है कि नंदरानी का गोपाल यानी नका बेटा कब आता है।

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