कोलकाता। कई बार कुछ ऐसा हो जाता है कि कुछ घटनाएं दिल में इस कदर लग जाती है कि भुक्तभोगी इतिहास बनाने की ठान लेता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी शायद कुछ ऐसा ही ठान रखा था।ज्ञात रहे कि वेस्ट बंगाल से ‘वेस्ट’ शब्द हटाने का फैसला ले लिया गया है ।  कैबिनेट ने राज्य का नाम बाकी भाषाओं में बांग्ला या बंगा और अंग्रेजी में बंगाल करने की मंजूरी दी है।सूत्रों की माने तो राज्य का नाम बदले जाने के फैसले के पीछे का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि राज्य के नाम की स्पेलिंग डब्ल्यू से शुरू होने के चलते दीदी यानी ममता बनर्जी को पीएम की मीटिंग के दौरान छह घंटे इंतजार करना पड़ा था। इन छह घंटों की देर होने की टीस दीदी के दिल में इस कदर लगी कि वह  गुस्सा हो गई थीं।  दरअसल, इंटर स्टेट काउंसिल की पिछले महीने दिल्ली में मीटिंग थी। इसमें नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। एक-एक करके राज्यों के रिप्रेजेंटेटिव्स ने अपनी बात रखनी शुरू की। सीरियल ‘ए’ से ‘डब्ल्यू’ के अल्फाबेटिकल सिस्टम के तहत बुलाया जा रहा था। ममता दीदी का नंबर28वां था। 6 घंटे बाद उन्होंने जब अपनी बात रखनी शुरू की तो उन्हें सिर्फ 10 मिनट मिले। बताया गया कि वक्त कम है। जबकि ममता बनर्जी कई मुद्दों पर बात रखना चाहती थीं।
बताया जाता है कि आखिरी नंबर होने की वजह से उनकी बात पर ज्यादा गौर भी नहीं किया गया। इससे ममता बेहद दुखी और नाराज हुईं।
ममता ने उसी दिन राज्य का नाम बदलने का फैसला कर लिया। एक महीने के अंदर ही कैबिनेट बैठक बुलाकर राज्य का नाम भी बदल दिया, ताकि अल्फाबेटिकल ऑर्डर में उनका नंबर आगे आ सके। राज्य के एक अधिकारी बताते हैं कि सरकार वेस्ट बंगाल के नाम से वेस्ट हटाना चाहती है। विधानसभा में यदि नए नाम को मंजूरी मिलती है तो अल्फाबेटिकल ऑर्डर में राज्य का स्थान 28 से सीधे 4 हो जाएगा। ममता ने राज्यों की बैठक में भी इस मुद्दे को रखा था। क्योंकि नेशनल समिट्स में जब तक राज्य के रिप्रेजेंटेटिव्स का नंबर आता है, तब तक वे थक चुके होते हैं।बता दें कि वैसे ममता सरकार ने 2011 में भी राज्य का नाम पश्चिम बंगो करने की बात कही थी। तब विपक्ष ने भी इसका समर्थन किया था। खैर देखना है कि नाम बदलने से राज्य की तकदीर या हालत बदलते है कि नहीं।

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