कोलकाता। भले ही केन्द्रीय विधि मंत्रालय के द्वारा कलकत्ता हाई कोर्ट के जजो द्वारा भेजे गये उक्त पत्र का कोई जवाब नहीं भेजा गया है जिममें उक्त कोर्ट के नाम बदले जाने पर आपत्ती की गई है।  कलकत्ता हाई कोर्ट के जज नहीं चाहते हैं कि कलकत्ता हाई कोर्ट के नाम में कोई परिवर्तन हो। बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच जुलाई को अपनी बैठक में कलकत्ता, बंबई और मद्रास हाईकोर्ट के नाम बदल कर क्रमश: कोलकाता, मुंबई और चेन्नई करने का फैसला किया था।  लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट के जजों ने बीती 11 जुलाई को एक बैठक में आम राय से हाईकोर्ट का नाम कलकत्ता ही रहने देने का फैसला किया। इस फैसले से केंद्रीय विधि मंत्रालय को भी अवगत करा दिया गया है। डेढ़ सौ साल से भी लंबे अरसे से इस हाईकोर्ट का नाम कलकत्ता रहा है। हालांकि स्थानीय भाषा में लोग इस महानगर को कोलकाता ही कहते रहे हैं। इन कारपोरेटेड लॉ सोसायटी ऑफ कलकत्ता (आईएलएससी) के अध्यक्ष आरके खन्ना कहते हैं कि कलकत्ता हाईकोर्ट देश का पहला हाईकोर्ट है। इसका यही नाम पूरी दुनिया में मशहूर है और इससे लोगों की भावनाएं व संवेदनाएं जुड़ी हैं। इसे बदलने का मतलब है पूरी दुनिया में इसका नाम बदलना। बीती 11 जुलाई को केंद्र के प्रस्ताव पर विचार के लिए आयोजित पूर्ण पीठ की बैठक से पहले सोसायटी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजे एक पत्र में हाईकोर्ट का नाम बदलने का विरोध किया था। खैर देखना है कि सरकार आगे क्या करती है।

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