कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हासिए पर आई माकपा के लिये अब अपने वजूद को बचाने के जद्दो जहद करना पड़ रहा है। ऐसे में माकपा जो कि मलोगों से दूर होती जा रही थी अब उसे आम लोगों का सहारा लेना पड़ रहा है।  कांग्रेस के साथ आपसी तालमेल के मुद्दे पर प्रकाश कारत गुट के तेवर तल्ख होने के बावजूद महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रदेश समिति की दलीलों का समर्थन किया है। माना जा रहा है कि येचुरी की यह मजबूरी भी और समय की मांग भी। इससे बंगाल के नेताओं के हौसले बुलंद हैं। येचुरी ने तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ मजबूत जनमत तैयार करने के लिए आंदोलन और उसकी रणनीति बनाने का जिम्मा प्रदेश नेतृत्व को सौंप दिया है। उसके बाद ही प्रदेश नेतृत्व ने तमाम शाखाओं को इस दिशा में जल्द ठोस पहल करने का निर्देश दिया है। प्रदेश माकपा के सूत्रों कि माने तो पार्टी में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा की दोहरी चुनौती से मुकाबले के लिए लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट रखने की प्रदेश समिति की मुहिम को मंजूरी दे दी गई है। माकपा काडरों को एक और जहां तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अत्याचारों व हमलों का सामना करना पड़ रहा है वहीं वह भाजपा के बढ़ते असर से भी परेशान है। प्रदेश समिति की बैठक में पास एक प्रस्ताव में कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस की आतंक फैलाने की रणनीति, तानाशाही रवैए और पुलिस प्रशासन के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाने के लिए पहले जिलों में आम लोगों और पार्टी के बीच बनी खाई को पाटना सबसे जरूरी है। पार्टी की राय में ऐसी ताकतों से निपटने के लिए पहले जनाधार को मजबूत करना जरूरी है। माकपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी अपने इस अभियान के तहत उन इलाकों पर ज्यादा जोर देगी जहां वामपंथी दलों ने कांग्रेस के साथ मिल कर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था। प्रदेश नेतृत्व ने जिला समितियों को संगठन को मजबूत बनाने पर ध्यान देने को कहा है। राज्य समिति के एक नेता कहते हैं कि पार्टी की राय में पश्चिम बंगाल में वामपंथी ताकतों के सफाए के लिए तृणमूल कांग्रेस और भाजपा मिल कर काम कर रही हैं। यही वजह है कि इन दोनों ताकतों से एक साथ निपटने के लिए पार्टी ने घर-घर जाकर जनसंपर्क बढ़ाने और इसके जरिए संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू की है।अब देखना है कि माकपा में बुढ़े हो चुके नेता आमजन को कैसे जोड़ेगें।

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