बताएंगे इस्लाम के सही मायने

कोलकाता। माना जा रहा है कि कुछ  सोशल मीडिया का इस्तेमाल युवाओं को भटकाने के लिये भी किया जा रहै है। लेकिन एक इमाम ने उक्त माध्यम से लोगों को हकिकत बताने का बीड़ा उठाया है। युवाओं को इस्लामिक स्टेट (आइएस) और अन्य आतंकी संगठनों के प्रति आकषिर्त होने से रोकने के लिए कोलकाता के इमाम सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहे हैं। वह सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को इस्लाम का सही अर्थ समझाएंगे और शांति के संदेश का प्रसार करेंगे। बंगाल के वरिष्ठ इमाम कारी फजलुर रहमान ने इस बात की जानकारी दी है।सोशल मीडिया संबंधी यह पहल शुरू करने का फैसला उन खबरों के बाद किया गया है जिनमें बताया गया था कि आइएस युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है। रहमान ने बताया, ‘अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है। इस मुद्दे पर मैं कई इमामों और इस्लामी विद्वानों से चर्चा कर रहा हूं। मुझे लगता है कि आइएस समेत कई अन्य समूह इस्लाम और कुरान की गलत व्याख्या करके युवाओं को भटका रहे हैं।’उन्होंने कहा, ‘इसका विरोध होना चाहिए। इस्लाम खूनखराबा और हिंसा नहीं सिखाता।  यह तो हमें शांति और भाईचारे की शिक्षा देता है। हमारा उद्देश्य इस्लाम की सही परिभाषा का सोशल मीडिया पर विभिन्न भाषाओं में प्रचार करना है। ताकि इसका संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके.’ इस बारे में अंतिम फैसला होने के बाद संयुक्त अभियान के तहत सोशल मीडिया पर संदेश का प्रचार अरबी, उर्दू, बंगाली, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में किया जाएगा।रहमान का कहना है कि आतंकी समूह फेसबुक, वॉट्सएप और यूट्यूब जैसी साइटों के जरिए दुनियाभर के युवाओं को आकषिर्त कर रहे हैं। कुछ दिन पहले राज्य से एक युवा को आइएस और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से संबंध रखने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। वह कश्मीर में आतंक का प्रशिक्षण लेने भी गया था। खैर जो भी हो लेकिन उक्त मुहिम जरुर तारीफ के काबिल है।

 

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