wbengalकोलकाता। इस दुनिया में तमाम ऐसे सवाल है जो जिसका जवाब खोजा जा रहा है। ऐसी ही दो बहनों का मामला भी सवाल बन चुका है। जिसका जवाब तलाशा जा रहा है।  उक्त दो बहनों की उम्र में 4 साल का फासला है। लेकिन अचानक कुछ ऐसा सामने आया, जिससे इनकी दुनिया ही बदल गई। माहवारी की उम्र तक पहुंचने पर बड़ी बहन सहेली के शरीर में मासिक धर्म के कोई संकेत नहीं मिले और न ही शरीर की बनावट में कोई अंतर आना शुरू हुआ। अपने लड़की होने के संकेत न दिखाई देने पर उसने धीरे-धीरे खुद को समाज से दूर करना शुरू कर दिया, यहां तक की आत्महत्या करने की भी कोशिश की। कुछ साल बाद छोटी बहन अहेली को भी ऐसे ही दौर का सामना करना पड़ा। अहेली एक ऐथलीट थी, उसने अपनी कोच से इस बारे में चर्चा की तो कोच ने उन्हें खेलना छोड़ने की सलाह दी। कोच का तर्क था कि अगर वह पुरुष निकलीं तो उनसे सारे मेडल वापस ले लिए जाएंगे।

इतना तनाव झेल पाना दोनों बहनों के लिए मुश्किल होता जा रहा था, इसलिए दोनों मिदनापुर में अपने माता-पिता का घर छोड़कर कोलकाता आ गईं। कोलकाता में दोनों ने गायनकॉलजिस्ट गौतम खश्तगिर से सलाह ली। कई टेस्ट होने के बाद पता चला कि दोनों बहनों में से किसी के शरीर में यूटरस और ओवरी नहीं है, बल्कि टेस्टिकल्स और पेनिस हैं जो पूरी तरह से विकसित नहीं हैं। चिकित्सा की भाषा में इसे ऐंबिगस जेनिटैलिया कहा जाता है। दोनों की जांच के बाद पता चला कि उनके अंदर 46 एक्स वाई क्रोमोसोम हैं, जिसका अर्थ यह हुआ कि आनुवांशिक रूप से दोनों पुरुष हैं। जांच की रिपोर्ट आने के बाद दोनों को प्लास्टिक सर्जन अनुपम गोलासे के पास भेजा गया। 15 दिन पहले सहेली का ऑपरेशन कर पुरुष में तब्दील किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि अगर स्पर्म काउंट सही हों तो सहेली अन्य पुरुषों की तरह बच्चे का पिता बन सकती हैं। लेकिन, अहेली का मामला थोड़ा जटिल है। उनका करियर दांव पर लगा है। अहेली अपने भविष्य को लेकर खतरा महसूस कर रही हैं, खेलना जारी रखने और अपने परिवार के लिए धनार्जन करने के लिए वह ‘प्रमाणित पुरुषों’ से भी लड़ने को तैयार हैं। बहरहाल दोनों बहनों को समझ में नहीं आ रहा है कि वह लोग क्या करें।

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