हुगली। भगवान को समझने वाले को ही संत कहा जाता है |  आत्मा और परमात्मा का केंद्र मंदिर होता है | उस केंद्र को समझना ईश्वर को समझना है | संत ही मानव को 84 लाख योनियों की बात बता परमात्मा से परिचय करता है | और संयम के मार्ग बताता है | चौराहे पर खड़े व्यक्ति को दुर्घटना से बचने के लिए लाल बत्ती जिस तरह हमें रोकती है संत भी हमें उसी तरह संकट के हर मार्ग से रोकते है | यह बात आज चापदानी के नार्थ ब्रूक जूट मिल के परिसर में उपस्तिथ भीड़ को संबोधित करते हुए परम पूज्य आचार्य श्री १०८ चैत्य सागर जी महराज जी ने यह बात बतायी | वह चुचुड़ा दिगम्बर जैन मंदिर से सुबह श्री जी का अभिषेक पूजन आचार्य  विमल सागर  महामंडल विधान एवं क्षेत्र पाल बाबा  का भव्य श्रींगार धूम-धाम से करने के बाद , दिनेश धगड़ा द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया | मौके पर संगत ब्रह्मचारिणी छाया देवी ने बताया कि दिगम्बर जैन संत प्राणी मात्र की रक्षा के लिए पैदल विहार करते है | मध्य प्रदेश के सोनागिरी से विहार करते हुए उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड होते हुए बंगाल की भूमि पर पहुचे | जैन आचार्य विमल सागर जी महाराज की जन्म शताब्दी के लिए कोलकाता की कदम बढ़ाते हुए चापदानी पहुचे यहाँ यहाँ आचार्य श्री हरख चन्द्र पंड्या ने स्वागत किया | मुनि श्री ने बताया कि मुनि संघ व्यवस्था कमिटी के पदाधिकारी सुमेरमल चुडीवाल, मुकेश जैन, सुरेश कानकी, संजय काला,, राजेश काला, कमल गंगवाल सहित ढेरों सदस्य मौजूद थे |

 

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