न्यूयॉर्क। हमने एड्स की महामारी के प्रसार के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में एक लंबा सफर तय किया है जिससे दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित है। पिछले डेढ़ दशक में मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और सम्मिलित लक्षित कारवाई से इस महामारी को रोकने में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उक्त बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने कही । वह संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय बैठक में बोल रहें थें। उन्होंने कहा कि मुझे एचआईवी एड्स के संबंध में आयोजित इस उच्च स्तरीय बैठक में आज आपके साथ शामिल होते हुए बहुत खुशी हो रही है। मैं मसौदा घोषणा के कठिन समझौता वार्ता के संचालन हेतु स्विट्जरलैंड और जाम्बिया के स्थायी प्रतिनिधि के प्रयासों की सराहना करता हूं।

एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी पर निर्भर रहने वाले एचआईवी प्रभावित लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है और एड्स से संबंधित वार्षिक मौतों की संख्या में भी काफी कमी आई है। इन उल्लेखनीय सफलताओं के कारण वर्ष 2030 तक एड्स की महामारी को समाप्त के लक्ष्य को हम पूरा कर लेंगे। इससे जुड़ी चुनौतियों के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता और कार्रवाई बहुत ही  आवश्यक है।

भारत जिसे 15 साल पहले एड्स महामारी के कारण विनाशकारी परिणाम की काली छाया का सामना करना पड़ा था अब इस चुनौती को प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में सक्षम हो गया है। एड्स के कारण होने वाली मौतों में 2007 के बाद से लगभग 55% कमी आई है। नए एचआईवी संक्रमण में 2000 के बाद से 66% की कमी देखी गई है और करीब 10 लाख एड्स से प्रभावित लोग एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी प्राप्त रप रहे हैं। सरकार द्वारा उपयुक्त वित्त्पोषण से समुदायों और स सोसायटी के के सशक्तिकरण और अंतरंग सहयोग के आधार पर लक्षित समाधानों ने प्रभावित जनसंख्या को प्रमुख जीवनरक्षक सेवाएं प्रदान करने में सहायता प्रदान किया है।

लक्ष्य के साथ निकट सहयोग और समुदायों तथा सरकार की ओर से उचित धन के साथ समाज के आधार पर हस्तक्षेप से प्रभावित लोगों के लिए महत्वपूर्ण जीवन रक्षक सेवाएं देने में मदद मिली है।

ये उल्लेखनीय सफलताएं सस्ती दवाओं के बिना संभव नहीं होता। भारतीय दवा उद्योग द्वारा कम लागत मूल्य की उत्पादित दवाओं के माध्यम से न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के अन्य भागों विशेष रूप से प्रभावित विकासशील देशों जहां संकट सबसे ज्यादा है, में एचआईवी के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।इसके लिए विश्व स्तर पर इस्तेमाल  की जाने वाली दवाओं में से 80% प्रतिशत भारतीय दवा उद्योग द्वारा आपूर्ति की जाती है।विश्व के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सस्ती दवाएं पहुंचने के कारण लाखों लोगों के जीवन बचाने में मदद मिली है।

विश्व स्तर पर एड्स जैसा महामारी से लड़ाई में भारत को अपनी भागीदारी पर गर्व है। हम भागीदार देशों और यूएनएड्स सहित अन्य साझेदारों के साथ मिलकर सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं।

मैंने पिछले साल अक्टूबर में नई दिल्ली में भारत द्वारा आयोजित तीसरे भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में अलग से अफ्रीकी मंत्रियों के साथ विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। हाल ही में जेनेवा में विश्व  सभा के 69वें सत्र में मेरे मंत्रालय के साथियों ने ब्रिक्स मंत्रालय समूह की ओर से औषधियों की किफायत के महत्व पर अच्छी चर्चा की मेजबानी की। पिछले साल अक्टूबर में ब्रिक्स स्वास्थ्यमंत्रियों ने अपने देशों में भी वर्ष 2030 तक एड्स महामारी को समाप्त करने की दिशा में शीघ्रता लाने का संकल्प दोहराया।

मैं इसके लिए पांच उपायों का प्रस्ताव  चाहूंगा जिसके माध्य म से वैश्विक परिवार अगले पांच वर्षों में एकजुट होकर काम कर सकते हैं।

पहला, हमें मानना होगा कि हम यूएन एड्स द्वारा प्रस्तावित फास्ट ट्रैक लक्ष्यों को अवश्य अपनाएं। एचआईवी उपचार व निवारण की आवश्यकता वाले आबादी के 90 प्रतिशत कर पहुंचना हमारी प्राथमिकता का लक्ष्य होना चाहिए। यह वह समय है जब हमें सभी ज्ञात निवारण व उपचार प्रयासों  के प्रभाव को अधिकतम बढ़ा देना चाहिए। एचआईवी सेवा प्रदानगी,  स्वास्थ्य के सभी पहुलुओं तक स्वास्थ्य कवरेज विस्तार के लिए आदर्श बन सकती है।

दूसरा, निवेश बढ़ाना। अन्तर्राष्ट्रीय सहायता तथा सहयोग की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता। यह समय विकसित देशों के लिए कम नहीं ज्यादा काम करने का है तथा उनके संकल्पों को बढ़ाने का भी है। हम इस महामारी को दुबारा पनपने का समय नहीं दे सकते।

तीसरा, किफायती औषधियों तथा सामाग्री सुरक्षा हेतु सुगम्यता सुनिश्चत करना। भारत ट्रिप्स फ्लैक्सिबिलिटी कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने अपनी यह प्रतिबद्धता अफ्रीका में हमारे भाई-बहनों के आह्नान पर पिछले वर्ष तीसरी भारत-अफ्रीका शिखर वार्ता में दोहराई थी।

चौथा, एक समावेशी समाज का निर्माण करना जिसमें प्रत्येक मानव जीवन का मूल्य हो। हमारी सफलता लक्षित क्रियाकलापों में व्यक्ति के सम्मान और अस्मिता को पुन:स्थापित करने में है। संवेदनशील जनसंख्या, समान रूप से महिला व कन्याओं को यौन शोषण, उत्पीड़न तथा हिंसा से सुरक्षा की आवश्यकता है। सामाजिक परिवर्तन धीमा है किन्तु हमें अपने सैंद्धांतिक मूल्यों को नहीं छोड़ना चाहिए, सभी पुरूष व महिलाएं समान रूप से बनी रहें।

पांचवा, वैश्विक एकजुटता। हम एड्स महामारी को समाप्त करने की लड़ाई में एकसाथ हैं। उत्तर-दक्षिण,दक्षिण समन्वय, बहुपक्षीय व हित पक्षीय समन्व्यन तथा सरकारों, निजी क्षेत्रों व सिवलि सोसाइटियों सहित समन्वयन के सभी रूपों को सुदृढ़ करना होगा। एड्स के प्रति बहुक्षेत्रीय प्रतिक्रया संकीर्ण जैव चिकित्सा दृष्टिकोण के लिए बलिदान नहीं की जाएगी। केवल हमारे प्रयासों में एकजुट बने रहने के माध्यम से ही हम इस महामारी को निर्णायक रूप से समाप्त कर सकते हैं।

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