कोलकाता। कभी ममता बनर्जी पर हुगली जिले के सिंगूर में औद्योगिकीकरण की खिलाफत के आरोप लगे थें। उनके कारण टाटा समूह की नैनों कार परियोजना को बंगाल से जाना पड़ा था। लेकिन आज ममता बनर्जी औद्योगिकीकरण को विकास का मार्ग मानकर वैश्वीकरण की राह पर चल रही हैं। अब बीते महीने सत्ता में अपनी दूसरी पारी शुरू करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के औद्योगिकीकरण के लिए आटोमोबाइल और निर्माण क्षेत्र पर खास जोर देने का फैसला किया है। बिते दिनों व्यापारिक संगठनों की ओर से आयोजित अपने अभिनंदन समारोह में भी ममता ने उद्योगपतियों से इन दोनों क्षेत्रों में निवेश की अपील कर वैश्वीकरण की राह में वह आ बढ़ रही है। अब इस क्षेत्र में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए वे इस साल सितंबर में यूरोप में एक व्यापार सम्मेलन आयोजित करने का मन बना चुकी हैं।

खुद मुख्यमंत्री का कहना है कि वे सितंबर में स्व. मदर टेरेसा को संत घोषित करने के लिए वैटिकन सिटी में आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेने रोम जाएंगी। उन्होंने कहा कि उसी दौरान वहां आस-पास के किसी देश में एक व्यापारिक सम्मेलन या उद्योगपतियों के साथ बैठक की योजना पर विचार चल रहा है। इससे आटोमोबाइल व निर्माण क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने में सहायता मिलेगी। ममता ने वित्त मंत्री अमित मित्र को उक्त सम्मेलन आयोजित करने के बारे में विभिन्न व्यापारिक संगठनों के साथ तालमेल बना कर आगे बढ़ने को कहा है। ध्यान रहे कि देश का सबसे पुराना आटोमोबाइल संयंत्र हिंदुस्तान मोटर्स राज्य के हुगली जिले के हिंद मोटर्स में था। लेकिन सी.के.बिरला समूह की उक्त कंपनी अब बंद हो चुकी है। वर्ष 2006 में टाटा समूह ने इसी जिले के सिंगुर में अपनी लखटकिया कार परियोजना शुरू की थी। लेकिन अनिच्छुक किसानों की जमीन लौटाने के मुद्दे पर ममता बनर्जी की तृणमूल ने इतने बड़े पैमाने पर आंदोलन खत्म किया कि टाटा को यहां से अपना संयंत्र गुजरात ले जाना पड़ा था। खैर देखना है कि आगे क्या होता है।

 

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