एक होटल के पास होता रहा है अवैध धंदा

जगदीश यादव 

Kidney-racketकोलकाता। अंतराष्ट्रीय किडनी गिरोह के सरगना टी. राजकुमार राव के महानगर कोलकाता से गिरफ्तारी के बाद से देश भर में सनसनी फैल गई है। वहीं उक्त गिरफ्तारी से साबित होता है कि किस तरह से किडनी गिरोह के द्वारा महानगर में भी अपना जाल फैला रखा था। उक्त मामले पर साल्टलेक व बाईपास में भी गिरफ्तारियां हो तो हैरत की बात नहीं होगी। सूत्रों व किडनी मामले के भुक्त भोगियों ने गोपनियता की शर्त पर बताया कि साल्टलेक व बाईपास संलग्न गोलपार्क में भी लगभग एक दशक से किडनी गिरोह के लोग सक्रिय हैं। यह उक्त लोग हैं जो टी राजकुमार की तरह डोनर्स और रिसीवर्स के बीच की एक बड़ी कड़ी होते हैं। साल्टलेक में सक्रिय किडनी गिरोह के लोगों के बारे में बताया जा रहा है कि वह लोग ज्यादतर मामलों में छोटी मोटी कीमत पर किडनी ख़रीदने के बाद मोटी रकम पर बीमार लोगों को बेच देते हैं।

सल्टलेक में सीटी सेंटर के समीप एक होटल के पास यहां के किडनी गिरोह के लोग किडनी डोनर्स और रिसीवर्स से मिल कर कथित सौदा  तय करते हैं। सूत्रों ने बताया कि गिरोह के लोगों को भी समाचार पत्रों में छपे विज्ञापन से ही पता चलता है कि किसे किडनी की जरुरत है। गिरोह के लोग विज्ञापन देने वाले किडनी रिसीवर्स या उनके परिजनों से बात करके किडनी दिलाने का सौदा तय करते हैं। जो कि कई मामलों में 7 से 20 लाख रुपये तक होता है। सूत्र बताते हैं कि गिरोह का नेटवर्क इतना फैला होता है कि इनके पास हमेशा किडनी डोनर तैयार रहते हैं । किडनी डोनर ज्यादतर देहात इलाके के व अभावग्रस्त लोग होंते हैं । जिन्हें पैसों की सख्त जरुरत होती है। गिरोह के लोग उक्त मौके का फायदा भी उठाते हैं और ऐसे लोगों को किडनी के एवज में एक से तीन लाख रुपये देकर रफा दफा कर दिया जाता है। सूत्रों की माने तो किडनी गिरोह के लोग किडनी देने की प्रक्रिया के बीच में जो सरकारी जांच की जाती है उसे वह मैनेज  करते हैं। डोनर को बताया जाता है कि जांच में वह कहे कि जिसे वह किडनी दे रहा है उक्त आदमी ने उसकी मदद तब की थी जब उसका जीवन अंधकार मय हो गया था। इस लिये वह जरुरतमंद को किडनी दे रहा है।

मिली जानकारी को सही माने तो ऐसे भी किडनी डोनर्स रहें हैं जिनका एक समय में व्यवसाय या काम अच्छा चलता था लेकिन किन्हीं कारणों से वह आर्थिक तबाही के शिकार हों गये थें। ऐसे लोग भी किडनी देते रहें हैं। सूत्रों की माने तो किडनी गिरोह की नजर खास तौर पर उन ग्रामीणों पर होती है जो आर्थिक तौर पर काफी कमजोर होंते हैं। ऐसे में अगर उक्त वर्ग के लोगों के घर में लड़की की शादी हो या कोई असाध्य रोग से पीड़ित हो गिरोह का का आसान हो जाता है।

 

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