जगदीश यादव
कोलकाता। देश-विदेश से तमाम तीर्थयात्री अपने जीवन में कम से कम एक बार पश्चिम बंगाल के विभिन्न मंदिरों में अपनी मनोकामनाओं और प्रार्थनाओं की पूर्ति की आशा के साथ आते हैं। इस राज्य में गंगासागर मेले के अलावा,कई शक्तिपीठ और कई पवित्र स्थान हैं जहां हर दिन हजारों लोग अपनी मनोकामना पूरी करने की उम्मीद में आते हैं। बंगाल में भी ‘शक्ति पीठ’ हैं जहां आदिशक्ति देवी सती के लौकिक अवशेष गिरे थे। इस बात में कोई दो राय नहीं हैं कि, इन पवित्र पीठों में साल भर लाखों तीर्थयात्री आते हैं। वैसे अगर बात मोक्षभूमि गंगा सागर की करे तो देश-विदेश के लाखों पुण्यार्थी गंगासागर की यात्रा के दौरान अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा करने की योजना बनाते हैं। लेकिन समय और तमाम कारणों से वह इन मंदिरों व शक्तिपीठ में नहीं जा पाते हैं। दक्षिण चौबीस परगना जिला के डीएम सुमित गुप्ता व जिला सभाधिपति शेख शमिमा की माने तो, 2023 में गंगासागर मेला थोड़ा अलग होगा। इस साल गंगासागर मेले में आने वाले तीर्थयात्रियों को बंगाल के अन्य पवित्र स्थानों के प्रतिक को देखने भी मौका गंगा सागर में ही मिल जाएगा। दक्षिण चौबीस परगना जिला प्रसाशन ऐसे पुण्यार्थियों के लिये मोक्षधाम गंगा सागर में ही कालीघाट, दक्षिणेश्वर, तारापीठ, तारकेश्वर एवं अन्य आध्यात्मिक स्थलों के प्रतिक स्थापित कर रही है।  बंगाल के पांच मंदिरों के दर्शन भी सागर क्षेत्र में बांग्लार मंदिर के तर्ज पर होगा। दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन की पहल पर इस वर्ष गंगासागर मेले के मार्ग में विभिन्न स्थानों पर बंगाली आदि मंदिरों के मूल देवी-देवताओं के 3डी मॉडल बनाए जाएंगे। यानी 3डी मॉडल पूरे सागरद्वीप को एक आध्यात्मिक वातावरण में बदल देंगे। इस वर्ष सागर द्वीप आने वाले तीर्थयात्री असीम देव मंदिर दर्शन के साक्षी बनेंगे।

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