कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आज डीए या महंगाई भत्ता मामले में राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने पूर्व के आदेश को बरकरार रखते क़ुए सरकारी कर्मचारियों का भत्ता जल्द देने का आदेश दिया है। अदालत ने तीसरी बार पुनर्विचार के अनुरोध को खारिज किया है। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य की याचिका में कोई दम नहीं है। केंद्रीय दर पर डीए की मांग को लेकर राज्य सरकार के कर्मचारी संगठन लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। इसको लेकर पूर्व में कोर्ट में केस भी किया गया था। उच्च न्यायालय में राज्य सरकार ने महंगाई भत्ते को श्रमिकों के न्यायसंगत अधिकार के रूप में स्वीकार किया। इसी साल 20 मई को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बकाया महंगाई भत्ता तीन महीने के अंदर देने का आदेश दिया था। इसमें राज्य के सरकारी कर्मचारियों को 31 प्रतिशत की दर से डीए देने को कहा गया है। लेकिन उस अवधि की समाप्ति के बाद डीए नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट में अवमानना का मामला दायर किया गया था। दूसरी ओर अवधि समाप्त होने से पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने पुनर्विचार याचिका लगाई थी। राज्य सरकार ने दावा किया कि सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्तों का भुगतान पहले ही ”रोपा नियम” के तहत किया जा चुका है। राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिसंघ ने पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार महंगाई भत्ते की मांग करते हुए 2016 में राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सैट) में एक मामला दायर किया था। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 34 फीसदी की दर से डीए मिलता है। राज्य सरकारों द्वारा डीए बढ़ाने के बाद भी राज्य के कर्मचारियों को अभी भी केंद्र से 31 फीसदी कम मिलता है।

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