कोलकाता। ‘शब्दकार’ के बैनर तले ‘रुक्मण फैशन’ के तत्वावधान में एवं हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का संचालन प्रदीप कुमार धानुक नेकिया। कवयित्री हिमाद्री मिश्र ने कार्यक्रम का श्री गणेश मां भारती की वन्दना से किया। वहीं नवोदित कवि विकास ठाकुर ने अपनी कविता, ‘रंग दे बसंती मन गा रहा’ सुनाकर कवि गोष्ठी की शुरुआत की। जबकि आमंत्रित कवियों ने हिंदी दिवस पर लिखी अपनी एक से बढ़कर एक कवितायें सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ललिता जोशी ने की। मुख्य अतिथि उषा जैन ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।कार्यक्रम में डॉ मनोज मिश्र की रचना, ‘आज झूठ नहीं बोलूंगा’, रामाकांत सिन्हा की, ‘पियाजी हमरे प्यार का बीमा कराय दो’, हिमाद्री मिश्र की, ‘अवध हमारे अवधपति का, यहीं पे मंदिर बना रहे हैं’, आलोक चौधरी की, बात जो तिरंगे वाली होती है तो मन मेरा भगत सुभाष आज़ाद बन जाता है’, नीता अनामिका की, ‘हां मैं जल्दी में हूं’, अनु नेवटिया की, ‘ये दिल सयाना हो गया है’, वरिष्ठ रचनाकार राम नारायण झा ‘देहाती’ की,‘ब्रह्मदेव ने रचा दोनों को, अर्धनारीश्वर रूप में’, डॉ उर्मिला साव ‘कामना’ की, ‘मैं कलि कलकत्ता से निकली’, नीलू मेहरा की, ‘पावन अपनी कहानी है’, अनीसा साबरी की, ‘तुम्हारी याद को दिल में बसाए बैठी हूं’, वन्दना पाठक की, ‘नहीं बची बेटियां तो कान खोल सुन लो ज़रा’ एवं प्रदीप कुमार धानुक की रचना, ‘जीने का बेहतरीन सहारा बना लिया, हमने गज़ल को सांसों का हिस्सा बना लिया’ को विशेष रूप से सराही गयी। कार्यक्रम में श्रोताओं के रूप में कृष्णानंद मिश्र एवं सीमा चौधरी ने भी उपस्थित होकर कवियों का खूब हौसला बढ़ाया। अंत में संयोजनकर्ता आलोक चौधरी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया |

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