जयदीप यादव
कोलकाता। दुर्गा पूजा पर इस साल महानगर कोलकाता में कहीं भव्य किला दिख सकता है तो कहीं किसी पुरानी सभ्यता का नजारा। लेकिन अगर आप रहस्य रोमांच पर को आत्मसात करने के शौकीन हैं तो आपको हाजरा पार्क दुर्गोत्सव कमेटी के प्रांगण यानी जतिन दास पार्क के भीतर आना पड़ेगा। दक्षिण कोलकाता की इस दुर्गा पूजा कमेटी ने इस बार आकर्षक थीम ‘तांडव’ की रचना पर मंडप को तैयार कर रही है। हाजरा पार्क दुर्गोत्सव कमेटी इस वर्ष 80वें वर्ष में पदार्पण कर चुकी है। ‘तांडव’ थीम दुनिया के वर्तमान परिदृश्य से संबंधित विषय को रखकर बनाया गया है। इस थीम के जरिए मानव जीवन के कुछ अनोखे पल को दर्शाने की कोशिश की गई है। ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार सनातन शास्त्रों में विज्ञान को ‘तांडव’ का वैज्ञानिक सत्य माना गया है जो प्रतिदिन अनदेखे सृष्टि के रूप में लगातार घटित हो रहा है। ब्रह्मांड के विभिन्न स्तरों पर होने वाली अस्थिरता में विनाश और सृजन का दैनिक चक्र निर्मित होता है, जो संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, तांडव हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, जो हमारी जानकारी के साथ या इससे परे होती है। ड्रम की ध्वनि से निकलने वाले महान ऊर्जा तरंगों की धुन मानव शरीर में तरंगों के रूप में पहुंचती है। इस तरह से संपूर्ण ब्रह्मांड ऊर्जा का एक स्रोत बन जाता है। जिसके बाद फिर से एकल ऊर्जा रूपांतरित हो जाती है और ब्रह्मांड एकल ऊर्जा का भंडार बन जाता है, जिसके बाद वह बहुआयामी ऊर्जा में रूपांतरित हो जाता है। यही ‘तांडव’ की मूल बातें हैं। तांडव वास्तव में ब्रह्मांड की एक सतत प्रक्रिया है, जिसे हम आमतौर पर परमात्मा के दृष्टिकोण से जानते हैं। पूजा कमेटी का दावा है कि, हमारा विषय इस प्रकार जीवन की इस शक्ति को प्रदर्शित करने का प्रयास करना है। हम दिखाते हैं कि कैसे यह मानव जीवन और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कलाकार के तांडव की छाप एक वास्तविक हिस्सा बन गया है। हाजरा पार्क दुर्गोत्सव समिति के संयुक्त सचिव सयान देब चटर्जी ने कहा कि, ‘इस वर्ष का विषय ब्रह्मांड की निरंतर प्रक्रिया के बारे में जानने की, इसे अनुभव जानने की कोशिश करना है। तांडव, वास्तव में मानव जीवन का एक भौतिक दस्तावेज है। यह मूल रूप से कोई विशिष्ट क्षण नहीं है, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है।

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