कहा- पहले भारत इस उक्त मार्ग पर चले

नकुल कुमार मंडल
सागरद्वीप।बांग्लादेश में वहां रहने वाले हिन्दुओं पर जिस तरह से हमले हो रहे है यह बर्दास्त के बाहर की घटना है।हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां को तोड़े  जाना कतई ठीक नहीं है व निन्दनीय है। उक्त बात आज गंगासागर में एक संवाददाता सम्मेलन में पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कही।
उन्होंने कहा कि, अगर हमारा देश भारतवर्ष पहले खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर लेता है तो मारीशस, नेपाल, भूटान समेत 15 देश एक साल के अंदर इसी मार्ग का अनुसरण करेंगे। मकर संक्रांति पर गंगासागर में शाही स्नान करने आए शंकराचार्य ने सवालों के जवाब में कहा-‘मेरी 52 देशों के उच्च प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत हुई है। बातचीत में मारीशस, नेपाल, भूटान समेत 15 देशों के प्रतिनिधियों ने इच्छा जताते हुए कहा कि भारत अगर खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देगा तो उक्त राष्ट्र भी हिंदू राष्ट्र घोषित करने की दिशा में कदम उठाएंगे। शंकराचार्य ने आगे कहा कि,भारत में अल्पसंख्यक जब सम्मान के साथ रहते हैं तो बांग्लादेश में हिंदू सुरक्षित क्यों नहीं रह सकते?उनकी सुरक्षा को लेकर पड़ोसी देश बांग्लादेश क्यों नहीं कठोर कदम उठा रहा है ?। शंकराचार्य ने कपिलमुनि मंदिर के महंत द्वारा सीएम ममता बनर्जी को पीएम के तौर पर देखे जाने की इच्छा व्यक्त किया है पर किये सवालों के जवाब में शंकराचार्य ने कहा कि कोई भी अपनी इच्छा को जाहिर कर सकता है इसमे वह क्या बोलेंगे। यह किसी की व्यक्तिगत राय हो सकती है। कोई कुछ भी सोच सकता है। जगदगुरु शंकराचार्य ने कहा कि, कोरोना के नाम पर देश भर में राजनीति हो रही है। इसे सरकारें अपने स्तर पर अपने फायदे के लिये विभिन्न माध्यम से पेश कर रही है। गंगासागर सहित योग स्थल को भोग स्थल बनाना खतरनाक है। गंगासागर राष्ट्रीय मेला है और इसे संविधानिक तौर पर गंगासागर राष्ट्रीय मेला घोषित करने के लिये पीएम व सीएम दोनों को बैठकर बात करना चाहिए अव्वल गंगासागर को मेला कहना ही उचित नही है यह धार्मिक स्थल व राष्ट्रीय पर्व तो है ही। जहां तक कोरोना के नाम पर धार्मिक स्थनों पर पाबंदी से लेकर पूजा-पाठ पर रोक के जो प्रयास हो रहें है यह ठीक नहीं है धर्मिक कर्मकांड नहीं रोका जा सकता है।  शंकराचार्य ने कहा- ‘कोरोना के दौर में ही विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे और आगे भी होने जा रहे हैं। जब कोई राजनीतिक कार्यक्रम होता है तो राजनेताओं को कोरोना सामना नहीं करना पड़ता है। लेकिन धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होने पर कोरोना की बात उठने लगती है।’ शंकराचार्य ने कहा कि तीर्थ स्थलों को पर्यटन स्थलों में परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए।

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