कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने मुकुल रॉय मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पुहुंचे। हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को आदेश दिया था कि वह रॉय को विधायक पद से अयोग्य घोषित करने और पीएसी के चेयरमैन पद से हटाने के मामले को लेकर दायर अर्जी पर तुरंत फैसला लें। हाईकोर्ट ने मामले में सात अक्टूबर तक स्पीकर से इस आदेश पर की गई कार्रवाई से उसे अवगत कराने का आदेश दिया था। गुरुवार को जब मामला हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए आया तब विधानसभा अध्यक्ष की ओर से बंगाल के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने अभी कोई फैसला नहीं किया है और इस केस में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। इसके बाद हाईकोर्ट ने केस की अगली सुनवाई 15 नवंबर को तय की।मुकुल रॉय ने दो मई को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा छोड़ दी थी और पुन: सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। पहले वह इसी दल में थे। उनके भाजपा छोड़ने के बाद पार्टी विधायक दल के नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधानसभा अध्यक्ष से रॉय को दलबदल कानून के तहत विधायक पद से अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए जून में याचिका दायर की थी। जब स्पीकर ने कोई निर्णय नहीं लिया तो इसके बाद अधिकारी ने मामले में हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने 28 सितंबर को स्पीकर को फैसला कर सात अक्तूबर तक सूचित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष ने संविधान व संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया। पीएसी के प्रमुख का पद विपक्ष के नेता के पास रहता है। विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ कठोर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि वह अपनी संवैधानिक ड्यूटी निभाने में विफल रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष यदि रॉय को विधायक पद से अयोग्य करेंगे तो पीएसी चेयरमैन पद से वह स्वत: अयोग्य हो जाएंगे।

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