दुर्गा पूजा के लिए जारी कोरोना गाइडलाइन की उड़ी धज्जियां

कोलकाता। महालया अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या) में पितरों के तर्पण के साथ दुर्गा पूजा कहे या देवीपक्ष की शुरुआत हो गई। अमावस्या के अवसर पर गंगा घाटों और तलाबों के पास लोग अपने पितरों को तर्पण करते दिखें। इस अवसर पर दुर्गा पूजा के लिए राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन की भी धज्जियां उड़ती दिखीं, लेकिन महालया के साथ पश्चिम बंगाल में दस दिवसीय दुर्गा पूजा का आरंभ हो गया। मान्यता है कि महालया के साथ जहां श्राद्ध पक्ष खत्म होते हैं। इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आगमन कर अगले 10 दिनों के लिए वास करती हैं। मान्यता है कि महालया के साथ जहां श्राद्ध पक्ष खत्म होते हैं। इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आगमन कर अगले 10 दिनों के लिए वास करती हैं। 10 दिनों के दौरान पूरे बंगाल में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनायी जाती है, लेकिन कोरोना महामारी के मद्देनजर हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार इस साल भी दुर्गा पूजा होगी। कोरोना की कमजोर होती दूसरी लहर और तीसरी लहर की संभावित आशंका के बीच हो रही ऐतिहासिक दुर्गा पूजा के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने नई निर्देशिका जारी की है। आज पितृ तर्पण के लिए गंगा नदी के घाटों पर सुबह से ही लोगों की भारी भीड़ रही। सुबह से ही कोलकाता के बाबूघाट, सूर्यनामघाट,बिचालीघाट, बागबाजार, कुम्हारटोली, दक्षिणेश्वर, अहिरीटोला, हावड़ा के गंगा घाटों पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचे और पितृ तर्पण किया।

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