मुद्दे पर माकपा व भकापा के बीच कलह

कोलकाता/नईदिल्ली। माकपा पश्चिम बंगाल के साथ तमिलनाडु में मिली करारी हार के बाद तिलमिला गई है। माकपा की दो दिन की पोलित ब्यूरो मीटिंग सोमवार को खत्म तो हो गई लेकिन उक्त बैठक के बाद पार्टी में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। ऐसा संकेत भी मिल रहा है। बता दें कि बैठक में बंगाल में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने को लेकर कुछ लोगों ने सवाल उठाया।  पोलित ब्यूरो के कुछ सदस्य बंगाल में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति से काफी नाराज हैं। सूत्रों के मुताबिक पोलित ब्यूरो के कुछ सदस्य कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति के लिए मुख्य रूप से माकपा महासचिव सीताराम येचुरी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जो नेता कांग्रेस से हाथ मिलाने के खिलाफ थे, उनमें पूर्व महासचिव प्रकाश करात, वृंदा करात, सुभाषिनी अली, एसआर पिल्लई शामिल हैं।

पोलित ब्यूरो की मीटिंग में कहा गया कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ जाना पार्टी लाइन के साथ मेल नहीं खाता। पार्टी द्वारा हाल ही में हुए चुनाव की विस्तृत चर्चा 18 से 20 जून को होने वाली सेंट्रल कमेटी की मीटिंग में होगी।पोलित ब्यूरो की बैठक में मोदी के 2 साल की सरकार को लेकर आलोचना की गई और कहा गया कि सूखे के चलते देश के 12 राज्य प्रभावित हैं और ये सरकार कुछ नहीं रही है।  इसके साथ दिल्ली में अफ्रीका के लोगों पर हुए हमलों की कड़ी निंदा करते हुए बैठक में कहा गया कि केंद्र इस पर कड़ी कार्रवाई करे।

कांग्रेस के साथ करीबी का विरोध कर रहे नेताओं का कहना है कि लेफ्ट और कांग्रेस के बीच विचारधारा का बुनियादी अंतर है, जिसकी वजह से चुनावी तालमेल करना ठीक नहीं था। जहां कांग्रेस को उस गठजोड़ से कुछ फायदा हुआ, वहीं सीपीएम की सीटें काफी कम हो गईं।वहीं सीताराम येचुरी के साथ बंगाल के कुछ नेता शामिल हैं, जिनमें पोलित ब्यूरो सदस्य विमान बोस, मोहम्मद सलीम और सूर्यकांत मिश्रा हैं. येचुरी खेमे का कहना है कि कांग्रेस के साथ बंगाल में कोई चुनावी गठजोड़ नहीं था। ममता बनर्जी के खिलाफ एक आपसी समझदारी थी।

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