कहा, तिरस्कार झेल रहें हिंदुओं को भारत, नेपाल व भूटान में जगह मिले
योग स्थल को भोग स्थल नही बनाया जाये

(फोटो-रमेश राय)
फिरोज आलम/जाकिर अली।
सागरद्वीप। जहांतक राम मंदिर के फैसले की बात है तो भले ही देश में इस निर्णय से प्रसन्नता है लेकिन मै प्रसन्न नही हूं।  इससे यह न समझा जाये कि मंदिर का मार्ग प्रसस्त हो गया है बरन भारत को आतंकवाद के गढ्ढ़े में फेंकने का काम हुआ है। हिंदुओं की उदारता को कमजोरी समझा नहीं जाये।एनआरसी से जुड़े  एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर दुनिया में किसी हिंदु का किसी भी रुप में विशेषकर धार्मिक स्तर पर तिरस्कार होता है तो उन्हें भारत, नेपाल व भूटान में स्थान मिलना चाहिए। भारत, नेपाल व भूटान को संयुक्त राष्ट्र हिंदु देश घोषित करे। एक सवाल के जवाब में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि गंगासागर हो या फिर कोई भी अन्य तीर्थ स्थल उक्त धार्मिक क्षेत्रों यानी तीर्थस्थलों को विकास के नाम पर दिशाहीन नहीं किया जाये। यहां पर्यटन को थोंपकर तीर्थ के मूल स्वारुप को नष्ट नहीं करें व पिकनिक की जगह बनाकर कर योग स्थल को भोग स्थली के तौर पर नहीं स्थापित किया जाना चाहिए। । उन्होंने गंगासागर तीर्थ स्थल के मामले पर उनसे बात करना चाहिए कारण बंगाल क्षेत्र भी पुरी पीठ क्षेत्र के दायरे में आता है। जगदगुरु ने कहा कि जहां तक गंगासागर के राष्ट्रीय मेला घोषित करने की बात है तो मै शंकराचार्य के तौर पर अपने पद से घोषित करता हूं कि यह विश्व स्तर पर तीर्थ स्थल है। विकास के नाम पर धर्मस्थल में केवल एयरपोर्ट व सेतू बना देने से तीर्थ स्थलों की रक्षा या विकास हो गया यह मै नही मानता हूं। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि विडम्बना है कि इस देश को अब आस्तिकों से भी खतरा है। शिक्षण संस्थानों में ताण्डव हो रहा है। कथित राजनीतिक संतो ने इस देश में धर्म का मजाक उड़ाया है।

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