हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर में मौत पर लोगों की राय शुमारी

जगदीश यादव
कोलकाता। हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ रेप और फिर उसे जिंदा जला देने वाले चार आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर में मौत पर एक नई बहस छिड़ गई। साफ कहे तो इस राज्य में इस घटना को लेकर लोग दो धड़े में बंट गये है।एक बड़े धड़ा द्वारा पुलिस एनकाउंटर को पूरी तरह से ठीक मानते हुए पुलिस द्वारा दुष्कर्म की घटनाओं में इसी तरह पुलिस को काम करने की सलाह दी जा रही है तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका प्रश्न है कि क्या पुलिस दुष्कर्म की घटना में दबंग आरोपियों के खिलाफ भी उक्त तरह की कार्रवाई को अंजाम देगी। मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता सुरदा बहादूर सोनार पपुल दाई का कहना हैदराबाद में पुलिस ने जो किया वह समसामयिक तौर पर मान लिया जाये तो क्या इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि दुष्कर्म के मामले पर पुलिस का रुख हर एक के लिये एक जैसा होगा। फिर आरोपी किसी भी हस्ती का रिश्तेदार क्यों नही हो उसके खिलाफ पुलिस ऐसी ही कार्रवाई क्या करेगी। दुष्कर्म के मामले पर किसी भी के साथ रिहाई नहीं किया जाना चाहिए। राजनीति व समाज मामलों के जानकार संतोष कुमार ने कहा कि हर समस्या का समाधान एनकाउंटर नही हो सकता है। पुलिस पर बेवजह अनावश्यक दबाव दिये बगैर ही पुलिस को उसका काम करने देना चाहिए। समाजिक स्तर पर कहे तो हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ रेप और फिर उसे जिंदा जला देने वाले चार आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर मौत समसामयिक तौर पर उचित है। रेप करने वालों को गोली मार दी जाये। बात करने पर जादवपुर की डोली घोषाल ने कहा कि हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ रेप और फिर उसे जिंदा जला देने वाले चार आरोपियों की पुलिस एनकाउंटर मौत देश व समाज के सामने पुलिस ने एक उदाहरण पेश किया है और यह एकदम उचित था। रेप करने वालों को आरोप साबित होने के बाद मौत की सजा इस तरह से देना चाहिए की किसी की भी रुह कांप जाये। ऐसे लोगों से किसी भी तरह की सहनाभूति नही रखी जाये। दरअसल रेप पीडिता केवल शरीर से पीड़ित नही होती वह आत्मा से टूट जाती है। वही मानवाधिकार कर्मी फरिदा ने कहा कि पुलिस एनकाउंटर को हमेशा जायज नही माना जा सकता है। रेप के मामलों में फांसी की सजा हो। लेकिन सवाल तो यह भी उठ रहा है कि क्या हैदराबाद मामले में पुलिस की जिस तरह की कार्रवाई हुई वह किसी कथित दबंगों व उनके रिश्तेदारों के मामले में होगी। लेकिन सच तो यह है कि दुष्कर्मी समाज की कोढ़ है। पेशे से मीडिया कर्मी लक्ष्मी शर्मा ने कहा कि देखा जाये तो पुलिस ने उक्त लोगों मार कर समाज के कोढ़ के इलाज की शुरुआत की है। रेप के मामले में मौत की सजा हो। रेप के मामले में आरोपी की उम्र भी नहीं देखा जाये उनके लिये सिर्फ मौत की सजा ही जरुरी है। तारीख पर तारीख से पता नही न्याय मिलने में कितना देर हो जाता है। कई बार समाज के हीत लिये एनकाउंटर जरुरी है।

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