भाजपा प्रदेश कार्यालय में जमा किए गए आरोप

कोलकाता। राज्य की तीन विधानसभा सीटों खड़गपुर, कालियागंज व करीमपुर के उपचुनाव में भाजपा को मिली हार को लेकर पार्टी में जोरदार चर्चा चल रही है। पार्टी में कोई हार की जिम्मेवारी लेना नहीं चाहता बल्कि शीर्ष नेताओं से लेकर निचले स्तर के नेता एक-दूसरे की कमियां दिखा रहे हैं। चुनाव परिणाम पक्ष में होने के लिए भाजपा का एक वर्ग अपनी पार्टी के सांसदों पर ही अंगुली उठा रहे हैं। उसका मानना है कि सांसद निर्वाचित होने से पहले पार्टी नेता अपने इलाके में पार्टी के कार्यक्रमों में अधिक सक्रिय थे। सांसद बनने के बाद वे दिल्ली में अधिक समय दे रहे हैं। यदि वे पहले जैसा ही स्थानीय स्तर पर सांगठनिक कार्यो में सक्रिय रहते तो उपचुनाव का परिणाम कुछ और होता। सांसद एवं नेताओं के साथ ही निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की गतिविधियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। उदाहरण के लिए, कालियागंज में भाजपा के 9 पंचायत सदस्य हैं। पिछले एक साल में, उनकी गतिविधियों के खिलाफ बड़ी संख्या में आरोप प्रदेश भाजपा कार्यालय में जमा किए गए हैं, लेकिन राज्य नेतृत्व उन्हें भय के कारण कुछ नहीं कह सका। भय यह था कि कुछ बोलने से कहीं ये लोग तृणमूल कांग्रेस में न चले जाएं। इसी तरह, करीमपुर और खड़गपुर के कई नेताओं पर आम लोगों के साथ दु‌र्व्यवहार करने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था, लेकिन प्रदेश नेतृत्व को उनसे कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई। पार्टी नेतृत्व एनआरसी के साथ वाममोर्चा एवं कांग्रेस के गठबंधन को भी पार्टी के हार के कारणों में देख रहा है। हालांकि भाजपा नेताओं का कहना है कि तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में हार होने के बावजूद पार्टी वर्ष 2021 के पहले संभल जाएगी। कालियागंज विधानसभा सीट रायगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत स्थित है। यहां की सांसद देवश्री चौधरी केंद्रीय राज्यमंत्री हैं। स्थानीय कई नेताओं की शिकायत है कि मंत्री बनने के बाद देवश्री का कालियागंज पर ध्यान कम हो गया जबकि देवश्री ने इस आरोप से इन्कार किया है।

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