यह है असली हिन्दुस्तान

जाकिर अली
कहते है कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना। जी हां, यह कहावत मालदा जिले के हबीबपुर थानांतर्गत मध्यम केंदुआ गांव की शेफाली बीबी पर पूरी तरह से लागू होती है। एक लम्बे दौर से शेफाली बीबी का नाम धर्म के नाम पर लड़ने वालों के लिये एक मिसाल है। आप माने या नहीं इससे क्या फर्क पड़ता है लेकिन मुस्लिम यह 65 वर्षीया महिला शेफाली बीबी इलाके में मां काली की साधिका के तौर पर जानी जाती है। बात करने पर हमारे संवाददाता को शेफाली बीबी ने बताया कि शेफाली बीबी का कहना है कि वह गरीब हैं जरूर, लेकिन काली माता के आशीर्वाद से उनके परिवार में किसी चीज की कमी नहीं है. अनाज और मकान के मामले में वह संपन्न हैं. हालांकि उनके दोनों बेटे श्रमिक का काम करते हैं. इसके बावजूद उनका जीवन सुखी है. उनका कहना है कि मां काली किसी एक व्यक्ति या समाज की नहीं हैं. वे सभी की माता हैं. मिली जानकारी के अनुसार विधवा शेफाली कई दशक पहले किसी असाध्य रोग से पीड़ित हो गयी थी। तभी सपने में काली माता ने उसे कहा कि वह अगर काली की पूजा करती है तो व निरोग हो जाएगी। फिर क्या था। शुरु हुई काली की पूजा और शेफाली निरेग हो गयी। तभी से यहां शेफाली काली के नाम से भव्य स्तर पर शेफाली काली पूजा का आयोजन होता आ रहा है। तब से स्थानीय लोगों व शेफाली द्वारा हर साल काली मंदिर परिसर में पंडाल बनाकर विधिवत पूजा होती है जिसमें इलाके के सभी धर्म और संप्रदाय के लोग शामिल होते हैं. इस पूजा को लेकर विशाल मेला और सांस्कृतिक समारोह का भी आयोजन होता है.बात करने पर शेफाली ने बताया कि पिछले 35 साल से वह यह पूजा करती आ रही हैं. उन्होंने बताया कि 35 साल पहले उन्हें एक जटिल रोग हुआ था जिसके बाद उन्हें मां काली ने स्वप्नादेश दिया कि वह उनकी पूजा करे तो वह स्वस्थ हो जायेंगी. उसी साल उन्होंने हिंदू समाज के लोगों के सहयोग से पूजा अनुष्ठान किया और आश्चर्यजनक रुप से वह स्वास्थ्यलाभ करने लगीं. उसके बाद से ही वह नियमित रुप से पूजा करती आ रही हैं. इस पूजा के आयोजन, चंदा संग्रह और तमाम व्यवस्था में इलाके के लोग सहयोग देते हैं. स्थानीय व सर्व सम्प्रदाय के यहां के लोगों की मान्यता है कि शेपाली काली माता पूजा से प्रसन्न होकर
सबका ख्याल रखती हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि शेफाली बीबी की मां काली जाग्रत हैं. पूजा के समय बहुत से भक्त उन्हें सोना, चांदी के गहने दान में देते हैं. बहरहाल शेपाली काली की पूजा उन लोगों के लिये एक करारा तमाचा है जो मजहब के नाम पर खून खराबा करते हैं।

Spread the love
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •