पीएम सीएम की बैठक पर राजनीतिक पारा गरम
कायासों के दौर के साथ सियासती फुहार शुरु

कोलकाता। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बुधवार को राजधानी नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने की संभावना है। राज्य सचिवालय के सूत्रों ने आज इसकी पुष्टि की. सूत्रों ने बताया कि बनर्जी मंगलवार को नई दिल्ली के लिए रवाना होंगी. उन्होंने बताया कि बैठक में दोनों नेताओं के पश्चिम बंगाल के प्रशासनिक मुद्दों के बारे में चर्चा करने की उम्मीद है. बनर्जी बीजेपी और मोदी की मुखर आलोचक हैं. एक अधिकारी ने बताया, ‘बैठक के लिए मोदी के कार्यालय से पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री कार्यालय ने समय मांगा था. बुधवार को नई दिल्ली में बैठक होगी.’ । प्रस्तावित बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है जब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई नेता और कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार शारदा पोंजी घोटाला मामले में सीबीआई जांच के घेरे में हैं. शारदा समूह की कंपनियों ने लाखों लोगों को उनके निवेश पर ज्यादा लाभ का वादा करते हुए 2500 करोड़ रुपये की जालसाजी की। बता दे कि रविवार को ममता ने इंटरनेशनल डेमोक्रेसी डे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि देश में सुपर इमरजेंसी जैसे हालात हैं। उन्होंने लोगों से अपने अधिकारों को बचाने और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने की प्रतिज्ञा लेने की अपील की थी। भाजपा ने इस बयान के जवाब में कहा था कि ममता बनर्जी को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। पार्टी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा था कि वास्तव में सुपर इमरजेंसी तृणमूल चीफ ममता के बंगाल में है, जहां जय श्री राम का नारा लगाने पर ही जेल में डाल दिया जाता है। दोनों विरोधियों के बीच प्रस्तावित बैठक काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शारदा घोटाले के मामले में सत्तारूढ़ तृणमूल के कई नेता और कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार सीबीआई के शिकंजे में हैं। शारदा ग्रुप से जुड़े प.बंगाल के कथित चिटफंड घोटाले के 2,460 करोड़ रुपए तक का होने का अनुमान है। दोनों नेताओं ने आखिरी बार 25 मई 2018 को विश्व भारती विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में मुलाकात की थी। वैसे पीेम मोदी और सीेम ममता की इस मुलाकात पर देश भर की नजर है। वहीं राजनीति के गलियारे में उक्त सम्भावित बैठक के तमाम राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहें हैं तो कहा जा रहा है कि उक्त बैठक ममता बनर्जी की मजबूरी बन गयी थी। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि उक्त बैठक के बाद से बंगल की राजनीतिक फिजा बदलने लगे।

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