13260019_1108973189163297_5592879415129981742_n(1)

संक्षिप्त परिचयः पेशे से पत्रकार लेकिन मन कविता व साहित्य में रमता है।

 मुरली चौधरी

तनकर खड़ा हो और खुलके मन की बातकर ।
हसरत साथ रखो, पर हर अगन की बातकर ।

मेहनत की कमाई से जुगाड़ों अपनी रोटियां ।
घर आये मेहमानों से जरा हँसकर बातकर ।

दूध से जला मट्ठा को भी फूँककर है पीता ।
बदलते दौर में अपनों से संभलकर बातकर ।

तमाशबीन है जमाने के हर खुदगर्ज लोग ।
छुपाकर रखो धन बुरे वक्त की उनसे बातक

गोरे काले में क्या फर्क है एक-सा है बदन ।
मुहब्बत भरे उसकी उस दिल की बातकर। 

लोहे को लोहा काटता है कहता है ‘मुरली’ ।
लोहे के हथियार और उसकी जंग की बातकर ।

Spread the love
  • 19
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
    19
    Shares
  •  
    19
    Shares
  • 19
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •