छठे वेतन आयोग के नियम एक जनवरी से लागू
सरकारी बाबूओं का न्यूनतम वेतन 17990 रुपए

कोलकाता। राज्य के सरकारी कर्मियों ममता बनर्जी सरकार की ममता एक बार फिर बरसी है। जी हां, कहा जा रहा है कि उनके बल्ले बल्ले होने वाले है। साप कहें तो सरकारी कर्मचारियों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा से पहले बड़ा तोहफा दिया है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें राज्य सरकार ने मान ली है। सिफारिशें 1 जनवरी से प्रभावी होने की संभावना है। सिफारिशों के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 17990 रुपए होगा। सबसे बड़ा फायदा ग्रेच्यूटी को लेकर मिलेगा। ग्रेच्यूटी 6 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने की सिफारिश की गई है। नेताजी इनडोर स्टेडियम में आज दोपहर सरकारी कर्मचारी फेडरेशन की सभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह ऐलान किया।राज्य में सातवां वेतन आयोग लागू नहीं होने से सरकारी कर्मचारी ममता से बेहद नाराज चल रहे थे। लिहाजा दुर्गापूजा से पहले उन्हें खुशखबरी मिली। राज्य सरकार द्वारा गठित छठे वेतन आयोग ने वेतनमान की सिफारिशों सरकार को सौंप दी है। इससे पहले छठे वेतन आयोग के अध्यक्ष अभिरूप सरकार ने कहा कि कर्मचारियों को बढ़ा वेतन देने से संबंधित रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। सिफारिशें 1 जनवरी से प्रभावी होने की संभावना है।राज्य सरकार ने छठा वेतन आयोग एक जनवरी, 2020 से लागू करने की घोषणा की। इससे सरकारी कर्मचारियों को लाभ होगा। इसके तहत न्यूनतम वेतन 17990 रुपए तथा ग्रेच्यूटी 6 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने की सिफारिश की गई है।10 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार राज्य पर होगा। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के बाद सचिवालय में बैठक कर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया था कि उनकी सरकार वेतन आयोग लागू नहीं कर सकी हैं, क्योंकि छठे वेतन आयोग की ओर से वेतनमान की सिफारिशें नहीं दी गई है। इसके बाद उन्होंने आयोग के चेयरपर्सन अभिरूप सरकार से भी बात की थी। आयोग के चेयरपर्सन अभिरूप सरकार के मुताबिक मूल वेतन में २.५७ फीसदी वृद्धि की सिफारिश की गई है। इससे राज्य सरकार पर 10000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा।हाल के लोकसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों ने भाजपा का समर्थन किया था, जिसका खमियाजा राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को सीटों के नुकसान के रूप में झेलना पड़ा। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने राज्य के परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी को सरकारी कर्मचारियों के संगठन की जिम्मेवारी सौंपी थी। उन्होंने जब पहली बैठक की तो पता चल गया कि वेतन वृद्धि न होने की वजह से सरकारी कर्मचारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से खासा नाराज हैं।

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