कहा, लोकतंत्र में अहंकार करना ठीक नही
खेलो इंडिया की जगह अब बेचो इंडिया बोल रहे
राज्य में बैलेट पेपर हो पंचायत व पालिका चुनाव
माकपा को भी सीएम ने जमकर लताड़ा

फिरोज/रमेश/जाकिर

कोलकाता। पहले इस राज्य में भाजपा 34 वर्ष लड़ाई करे और फिर बंगाल में सरकार बनाने का सपना देखे। भगवा खेमा को समझना चाहिए की बंगाल में भाजपा को लोकसभा की 18 सीट मिली है 24 नहीं। ऐसे में साफ दिख रहा है वह सत्ता से दूर है। उक्त बात आज राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज शहीद दिवस के मंच से शक्ति प्रदर्शन करते हुए उक्त बात कही। मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर भाजपा को विधानसभा जंग के लिये ललकारते हुए कहा कि विधानसभा में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी।

ममता ने कहा कि वर्ष 2009 में तृणमूल को 26 सीटें मिली थी. वर्ष 2011 में 34 वर्षों की लड़ाई के बाद तृणमूल सत्ता में आयी थी। अभी भाजपा 34 वर्ष लड़ाई करे, फिर बंगाल में सरकार बनाने का सपना देखे। तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि अहंकार करना ठीक नहीं है। राजीव गां‍धी 400 सीट जीते थे, लेकिन संसद नहीं चला पाये। आज संसद चल रहा है, तो यह विरोधी दलों के कारण ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि पहले खेलो इंडिया बोलते थे. अब बेचो इंडिया बोल रहे हैं। ममता बनर्जी ने अपने पूरे भाषण में ईवीएम, नोटबंदी, हिंदू-मुसलमान, बांग्‍ला के बहाने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। बेहद आक्रामक नजर आ रहीं ममता ने बीजेपी को ‘डकैतों की पार्टी’ करार दिया। ममता ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने और चुनाव के दौरान कालेधन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए देश में चुनाव सुधार जरूरी है। टीएमसी चीफ ने चुनाव की सरकारी फंडिंग की भी मांग की। उन्होंने कहा, ‘यह मत भूलिए कि पहले इंग्‍लैंड, फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका में भी ईवीएम का इस्तेमाल किया गया। लेकिन अब उन्होंने उसका इस्तेमाल करना बंद कर दिया है तो ऐसे में हम क्यों मतपत्र वापस नहीं ला सकते?’ । ममता बनर्जी ने कहा कि दो साल पहले तक भाजपा के नेताओं को कोई जानता नहीं था। भाजपा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुंडों को साथ लेकर अशांति पैदा कर रही है. बिहार सरकार ने आरएसएस पर निगरानी की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपी है। मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ने भाजपाइयों को ल्क्ष्य करते हुए कहा कि,आप संयमित रहें, नहीं तो बंगाल में आम लोग आप लोगों को निगरानी करेगी। ममता बनर्जी ने कहा कि 1995 से मैं चुनाव सुधार की मांग करती आ रही हूं। यदि हम चुनाव में कालेधन का इस्तेमाल रोकना चाहते हैं, लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं और राजनीतिक दलों में पारदर्शिता कायम करना चाहते हैं तो चुनाव सुधार करने ही होंगे। चुनाव की सरकारी फंडिंग जरूरी है, क्योंकि राजनीतिक दल चुनाव के दौरान कालेधन का इस्तेमाल करते हैं। ममता ने भाजपा को धमकी देते हुए कहा कि पहले बंगाल की संस्कृति सीखें, फिर बांग्ला दखल करने का सपना देखें। बंगाल सिर नहीं झुकाएगा। इंच-इंच का बदला लेंगे। ममता बनर्जी ने कहा कि कट मनी की बात कही जा रही है, लेकिन उजाला की जांच हो।

उजाला के पैसे वापस दो।उन्होंने कहा कि सब कुछ बर्दास्त कर सकती हैं, लेकिन बंगाल का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि घर में बैठकर राजनीति नहीं होगी। बाहर निकलें। रास्ता ही रास्ता दिखाएगा।यही नही ममता बनर्जी ने माकपा को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा कि माकपा को लज्जा नहीं आती। भाजपा के जल्लाद आज माकपा के हमदर्द बन गये हैं। भाजपा की अपनी कोई ताकत नहीं है। उन्होंने कहा कि रात को विधेयक लाया जा रहा है। फेडेरल स्ट्रक्चर को ध्वस्त किया जा रहा है। ममता ने कहा कि शताब्दी, प्रसेनजीत, ऋतुपर्णा को इडी ने बुलाया है। बुलाकर भाजपा के नेताओं के साथ मिलने की बात कही जा रही है। यदि भाजपा नेता से नहीं मिलेंगी, तो मुश्किल हो जायेगी। ममता बनर्जी ने माकपा को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा कि माकपा को लज्जा नहीं आती। भाजपा के जल्लाद आज माकपा के हमदर्द बन गये हैं। भाजपा की अपनी कोई ताकत नहीं है. उन्होंने कहा कि रात को विधेयक लाया जा रहा है. फेडेरल स्ट्रक्चर को ध्वस्त किया जा रहा है. ममता ने कहा कि शताब्दी, प्रसेनजीत, ऋतुपर्णा को इडी ने बुलाया है. बुलाकर भाजपा के नेताओं के साथ मिलने की बात कही जा रही है. यदि भाजपा नेता से नहीं मिलेंगी, तो मुश्किल हो जायेगी। ममता ने कहा कि भाजपा के साथ सरकार में रहने के बावजूद नीतीश कुमार ने राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निगरानी रखने की शुरुआत की है। उन्होंने पुलिस को निर्देश दिया है कि संघ के कार्यकर्ताओं और कार्यक्रमों की सूची तैयार की जाए। यह है भाजपा की वास्तविकता। उन पर कोई भरोसा नहीं करता। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में हालात को बिगाड़ने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं को दूसरे राज्यों से लाकर इस राज्य में रखा जा रहा है। उन्हीं के भरोसे भाजपा राजनीति कर रही है। ममता ने कहा कि भाजपा के साथ रहने के बावजूद नीतीश कुमार ने संघ पर निगरानी रखने की शुरुआत की है लेकिन मैंने आज तक ऐसा नहीं किया। मैं लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बचा कर रखना चाहती हूं. मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि उनके शासनकाल में किसी पर हमले नहीं किए गए. शहीद दिवस के कार्यक्रम में बांकुड़ा और हुगली जिले में तृणमूल कार्यकर्ताओं पर हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा वालों ने रोककर तृणमूल कार्यकर्ताओं पर हमले किए हैं. हम लोग इसका अगर जवाब देंगे तो वे ठहर नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि जहां-जहां तृणमूल कार्यकर्ताओं को रोककर हमले किए गए हैं वहां पार्टी की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। बहरहाल जो भी हो लेकिन टीएमसी ने दावा किया कि इस रैली में 3 लाख से अधिक लोगों ने शिरकत की। रैली की सुरक्षा के लिए 5 हजार पुलिसकर्मी लगाए गए थे। 21 जुलाई, 1993 को वामदलों के शासन के दौरान कोलकाता के मेयो रोड पर पुलिस गोलीबारी में मारे गए 13 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित इस रैली के निशाने पर इस बार बीजेपी रही। ममता और टीएमसी के नेताओं ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला। बता दें कि वर्ष 2011 में सत्‍ता संभालने के बाद बीजेपी ममता बनर्जी की सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी बनकर उभरी है। टीएससी मई 2019 से ही इस नई चुनौती का तोड़ ढूंढने में लगी है। मई में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 40.3 प्रतिशत वोट मिला था जो टीएमसी के 43.2 प्रतिशत से थोड़ा ही कम है। माना जा रहा है कि ममता बनर्जी इस रैली के माध्‍यम से अपने काडर को यह दिखाना चाह रही हैं कि उनके अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी से निपटने की ताकत है।

 

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