प्रदेश में दर्जन भर सीटों पर प्रार्थी खड़ा करेगी महासभा
भाजपा पर लगाया वादा खिलाफी का आरोप

कुमार जगदीश
कोलकाता।लोकसभा चुनाव की जंग देश सहित इस राज्य में भी जम गई है। लेकिन साफ तौर पर कह तो इस राज्य में भी अब भाजपा की राह आसान नहीं होगी तो वहीं सत्ताधारी तृणमूल से लेकर कांग्रेस व वामपंथी दलो को क ऐसी शक्ति से मुकाबला करना पड़ सकता है जो हिंदुत्व क लिये जानी जाती रही है। जी हां, अखिल भारतीय हिंदू महासभा इस राज्य में कम से काम 12 स 15 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष महंत स्वामी सुंदर गिरी महाराज ने आज उक्त जानकारी दी। सुंदर गिरी ने आरोप लगाया कि भाजपा जिस राह पर चल पड़ी है इसे देख कर साफ पता चलता है कि भाजपा इस राज्य में तृणमूल की बी टीम बन गई है। भाजपा अपने मुद्दे व वादों से भटक गई है। हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश भाजपा ने यहां लोकसभा के लिये जानबूझ कर ऐसे उम्मीदवारों को उतारा है जो चुनाव हार जाये। पुराने कर्मियों व योग्य लोगों की अनदेखी की गई है। एक प्रश्न के जवाब में हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 1945 में रामलला को हिंदू महासभा के द्वारा स्थापित किया गया था। लेकिन बाद में भाजपा ने राम मंदिर के मुद्दे को क तरह से अगवा कर लिया और फिर 2013 तक राम मंदिर का गाना गा कर 2014 में सत्ता में आई लेकिन अब राम मंदिर के मुद्दे से भाजपा तकरा रही है। ऐसे में वक्त की मांग है कि हिंदू महासभा अपने मुद्दे पर काम करे। भाजपा जिस पर देश और एक व्यापक वर्ग हिंदुओं को भरोसा था के विश्वास को तोड़ा गया ऐस में भला हिंदू महासभा अपने कार्य को कैस भूल सकती है। खैर जो भी हो महासभा केन्द्र सरकार पर कथित तौर पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। अब हिंदू महासभा खुद का अस्तित्व बनायेगा। खबरों की माने तो महासभा लोकसभा चुनाव में ताल थोठ रही है और इस राज्य में अपना प्रत्याशी देगी। प्रदेश अध्यक्ष की माने तो राम मंदिर को लेकर सभी दलों ने अब तक केवल लोगों काे बरगलाने का काम किया है। ज्ञात हो कि अखिल भारत हिन्दू महासभा देश की एक पुरानी राजनीतिक पार्टी है। इसे हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन माना जाता है । रिकार्ड की माने तो इसकी स्थापना सन 1915 में हुई थी व विनायक दामोदर सावरकर इसके अध्यक्ष वे केशव बलराम हेडगेवार इसके उपसभापति रहे।कहा जाता है कि 1951-1952 के प्रथम लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने अखिल भारतीय हिन्दू महासभा को ‘राष्ट्रीय दल’ के रूप में मान्यता दी थी। इसे ‘घोडा और घुड़सवार’ चुनाव-चिह्न प्रदान किया गया था। दस्तावेजो की माने 1944 में श्यामा प्रसाद मुख़र्जी हिन्दू महासभा का अध्यक्ष बने।

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