मोदी की लोकप्रियता का फायदा उठा रहा है चालाक चीन

जगदीश यादव
कोलकाता। अभी हाल में ही पुलवामा में आतंकी घटना के प्रमुख मास्टरमाइंड आतंकी अजहर मसूद को चीन ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी मानने से इंकार कर दिया था।साफ कहे तो शुरु से ही चाइना यानी ड्रैगन हमेशा से ही भारत के खिलाफ हर स्तर की मुहिम को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर बढ़ावा देता आया है। लेकिन इसे विडम्बना कहे या फिर कुछ और हम ड्रैगन के उत्पाद का इस्तेमाल करने से बाज नही आ रहे हैं। हालात तो ऐसे है कि होली की खुमारी में होली पर चाइना के सामानों से बाजार अटे पड़े हैं। चाहे रंग-गुलाल हो, मुखौटे हो या फिर पिचकारियां हर सामान मेड इन चाइना से भरे हुए हैं। देश के तमाम जगहों का तरह महानगर कोलकाता भी इससे अलग नही है। होली की खुमारी कुछ इस तरह से छायी है कि महानगर के बाजारों में चाइना के रंग-गुलाल, मुखौटे हो या फिर पिचकारियां अटे पड़े है।साफ कहे तो होली की खुमार में ड्रैगन का मनी का फनी करोबार हुआ रंगीन हो रहा है। चालाक चाइना दोनों हाथों से होली के नाम पर भारतीय पर्व पर धन लूट रहा है। चाइना के इस मुहिम को असाधु व्यवसायिओं का समर्थन मिल रहा है और होली के बाजार चाइना के उत्पादों से अटे पड़े है। हैरत होगी लाचाक व अवसरवादी ड्रैगन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का भी फायदा उठा रहा है। पीएम मोदी की तस्वीर वाली पिचकारियों व मुखौटों को इस देश में भेज कर लाल हो रहा है। महानगर कोलकाता के कुछ व्यवसायिओं ने नाम की गोपनियता पर कहा कि बाजार में होली के चाइनिज उत्पाद में एमआरपी इतना कम लिखा होता है कि कोई भी इसे सात गुणे ज्यादा दाम पर खरीदने से इंकार नहीं कर रहा है। उदाहरण के तौर पर चाइनिज उत्पाद में एमआरपी अगर 6 रुपये 50 पैसा या फिर 10 रुपये लिखा है तो उक्त उत्पाद 45 से 60 रुपये में बेचा जा रहा है। लेकिन होली का खुमार है कि चालाक चीन हमे लूट रहा है। महानगर के बड़ाबाजार सहित जानबाजार, खिदिरपुर सहित सभी प्रमुख बाजारों में होली की सामग्री खरीदने के लिए भीड़ उमड़ रही है। जहां मोदी मुखौटे व पिचकारी बच्चो को अपनी ओर खिच रही है तो ड्रैगन यानी चाइनीज पिचकारियों ने पूरे बाजार पर कब्जा जमा लिया है। इसके अलावा इंगलिश सेंटेड गुलाल, हर्बल गुलाल, बैलून, चंदन आदि भी लोगों को काफी पसंद आ रहा है। देश की सत्ता पर काबिज पीएम नरेंद्र मोदी के चित्र व कार्टून वाली पिचकारियां खूब नजर आ रही है। यानि इस बार बच्चे मोदी पिचकारी से एक –दूसरे पर रंग डालते नजर आएंगे। बाजार में होली सामग्री के तौर पर कई तरह की पिचकारियां, टोपियां, चंदन, अबीर, इंगलिश सेंटेड गुलाल, हर्बल गुलाल, मुखौटे, रंगों वाले कैप्सूल, बैलून, झाड़ी बैलून, गुझिया बनाने का सांचा आदि मिल रही हैं। होली के अवसर पर पिचकारी व रंग आदी बेच रहे व्यवसायिओं ने इस शर्त पर बताया कि उनके नाम को गोपनिय रखा जाये तो वह बाजार का सच बता सकते हैं। उक्त दुकानदार की माने तो बाजार में सभी दुकानों पर चाइनीज पिचकारियां ही मिल रही हैं। कोई भी देश में निर्मित पिचकारी एकदम कम की संख्या में है। देसी की वकालत करने वाले लोग भी कई कारणो चायनीज पिचकारी ले रहे है।

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