कहा, हम किन्नर हैं कायर नही

जगदीश यादव
कोलकाता/हावड़ा। क्या खूब किसी ने लिखा है, नमकहरामों की बस्ती में,सांप-सपोले रहते हैं। केसर की सुंदर क्यारी में,बम के गोले बोते हैं…। पुलवामा हमले के बाद एक तरफ जहां देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा भरा है। इस देश में तमाम वर्ग के लोग आतंकियों के कायरना हरकत पर अपने स्तर पर गुस्सा व्यक्त कर रहें है। वहीं पुलवामा आतंकी हमले के 13वें दिन भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है। वायुसेना ने पाकिस्तान में आतंकियों की लाशें बिछा दी है। सैंकड़ों आतंकियों को भारत ने मार गिराया है। लेकिन इसके बाद भी पाक के खिलाफ देश में हर वर्ग में गुस्सा कम नही हुआ है। ऐसे में किन्नर भला कैसे अपने फर्ज से अलग हो सकते है। पाक की नापाक व आतंकियों के कायराना हरकत पर किन्नर समाज के एक वर्ग का गुस्सा भी उफान पर रहा। विशेष बातचीत में आशा, जरीना, पिंकी सहित तमाम किन्नरों ने कहा कि अब बर्दास्त के लायक नहीं है। पाक को तबाह कर देना चाहिए। उक्त लोगों ने कहा कि अगर देश चाहे तो वह लोग सैनिकों की भांति हथियार उठाकर पाकिस्तान से लड़ने को तैयार है। हमलोग हिन्दुस्तान के निवासी है और किसी के सामने नहीं झुकेगें। सज्जनों के लिये हम भारतवासी जान दे सकते हैं तो दुर्जनों का गला भी काट सकते है। पाक को नेस्तानाबूद कर देना चाहिए। हम किन्नर हो सकते है, कुदरत ने हमें ऐसा ही गढ़ा है लेकिन पाक के हुक्मरान कान खोलकर सुन ले की हम कायर नहीं है। हम किसी के लिये दुआ कर सकते है तो मौत की दवा भी जानते है। पाक हमारे बर्दास्त की सीमा को लांघ चुका है इसलिये इसे मटियामेट कर दुनिया के नक्शे से इसका नाम भी मिटा देना चाहिए। हम पानी नहीं दे तो पाक की आबादी तड़पने लगेगी। मामले पर किन्नर समाज की एक वर्ग की गुरु मां रिंकी दीदी ने कहा कि हम कायर नहीं है। पाकिस्तान में दम है तो वह हमारे सैनिकों से आमने सामने की लड़ाई लड़े। गुरु मां रिंकी दीदी ने कहा कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के अलावा हमारे पास कोई चारा नही है। मामला अब बातचीत का नही रहा । कारण लातो के भूत बात से नहीं मानते है। जलिल, कपटी और दुर्जनों के लिये मानवता का गाना गाने वाले भी इस देश के गुनाहगार है। बहरहाल हम आपको बता दे कि भारतवर्ष में किन्नरों का इतिहास 4 हजार साल से भी पुराना है। किन्नरों को मुगल सम्राज्य में सबसे पहले अहमियत दी गई थी। किन्नरों को महिलाओ के हरम की रक्षा की जिम्मेदारी दी जाती थी। मुगल साम्राज्य का मानना था कि किन्नर हमारे समाज का एक अहम हिस्सा हैं और इसलिए उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाती रही। हर एक किन्नर में किसी भी पुरुष जितना ही बल होता है और उसी बल की बदौलत इतिहास में किन्नर सेना द्वारा बहुत सी जंगे भी लड़ी गई हैं। इतिहास गवाह है कि मुगल शासन के समय किन्नरों को सबसे ज्यादा सम्मान प्राप्त हुआ था। किन्नर उनकी कई सेनाओं के जनरल भी थे तो कई रानियों के पर्सनल बॉडीगार्ड। सेसेंक्स 2011 में एक चौंकाने वाली बात सामने आयी थी। उक्त दौरान हमारे देश के गांवों में सबसे ज्यादा किन्नरों की संख्या 70 हजार से आसपास दर्ज की गई थी। मिली जानकारी को सही माने तो यूपी में सबसे ज्यादा ट्रांसजेंडर (किन्नर) पाये जाते हैं।बिहार नंबर दो पर और तीसरा नंबर पश्चिम बंगाल का है, यूपी में सबसे 12,916, बिहार में 9,987 और पश्चिम बंगाम में 9,868 से ज्यादा ट्रांसजेंडर हैं।

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